जमीन या आसमान में नहीं तालाब में तैरते हुए रावण का होता है दहन गांव सिरसिदा में ,आज 24 अक्टूबर को  आदर्श राम लीला मंडली सिरसिदा के तालाब के बीचो बीच 40 फीट रावण दहन

अंडा। राक्षासो के जमीन अथवा आसमान में नहीं मरने जैसे चतुराई वाले वरदानो के किस्से तो जरूर सुने होंगे पर अपने यहाँ सिरसिदा में इसे देखा भी जा सकता हैं अंडा से 7 किलोमीटर सिरसिदा में दशहरा पर जमीन अथवा आसमान में नही बल्कि तालाब के बीचोबीच तैरते हुए रावण का दहन किया जाता हैं रावण दहन के दौरान तलाब के बीच आकर्षक अतिशबाजी भी होती है तब गाँव के कुछ लोगो का अलग करने का जूनून और अब तालाब के बीच रावण दहन कि परम्परा आगे बढ़ रही है।

26 सालो से जल रहा 40 फीट का पुतला
सिरसिदा के सरपंच प्रेम लाल ठाकुर,पूर्व सरपंच खेमन चन्द्राकर,अध्यक्ष राजेश साहू कोषाध्यक्ष चंद्रप्रकाश साहू उपाध्यक्ष लवण यादव सचिन खिलेंद्र साहू संरक्षक बाल गोविंद साहू प्रेमलाल चंद्राकर राजकुमार चंद्राकर खेमन चंद्राकर ने बताया कि कुछ अलग करने के जूनून में वर्ष 1994 में पहली बार तालाब के बीच रावण का पुतला खड़ा कर जलाया गया  बताया कि शुरुआत के कुछ सालो को छोड़ कर हर बार 35 से 40 फिट का पुतला जलाया जा रहा हैं। ऐसे हुई शुरुआत प्रेमलाल ठाकुर सरपंच ने बताया कि तब शिक्षक सी पी चंद्राकर और स्वास्थ्य कर्मचारी जीआर शर्मा ने साइकिल के ट्यूब पर पानी के भीतर वजन लटका कर 10 फिट के खंभे को बैलेंस करने का जुगाड़ किया था फिर ट्रैक्टर के ट्यूब के सहारे रावण का पुतला खड़ा किया
दो मंजिल मंच
रावण दहन के पहले तालाब किनारे रामलीला का मंचन होता है इसके लिए 12 पिलर पर दो मंजिल मंच तैयार किया जाता है दूसरी मंजिल से भगवान राम की भूमिका निभा रहे पात्र बारूद के राकेट से रावण के पुतले की नमी को भेदते हैं नमी पेट्रोल  भरा होता हैं
मशाला से जलाया प्रेमलाल ठाकुर ने बताया कि 26 साल में दो बार विपरीत मौसम वह बारिश के कारण रावण का पुतला बारूद के राइट के सहारे जलाया जा सका वर्ष 2002 व 2014 में ऐसी स्थिति बनी तो तालाब में उतार कर मसालों के सहारे पुतला दहन किया गया तलाब में पुतला खड़ा करने में कभी भी परेशानी नहीं हुई है । अध्यक्ष यशवंत श्रीवास ने बताया कि 24 अक्टूबर को  आदर्श राम लीला मंडली सिरसिदा के तालाब के बीचो बीच 40 फीट रावण दहन। दशहरा के दिन रात्रि में राम लीला रावण दहन के पश्चात 10 बजे रात्रि में हरेली सास्कृतिक कार्यक्रम रखा गया हैं। आस पास की सभी संगा मन ल झाड़ा झाड़ा देवता हैं। अधिक से अधिक संख्या में पहुच कर कार्यक्रम का शोभा बढ़ाये।