पाठको की पाती में आज पढ़िए ग्राम तर्रा (पाटन) के युवा रचनाकार वेदनारायण ठाकुर का यह मार्मिक कविता, कविता का शीर्षक है ’मां’

1.जन्म देने से पहले 5 किलो वजन
अपने कोख में ढोती है मां
अपने बच्चो की खुशियों के लिए
हर पल दर्द सहती है मां
कौन कहता है, दर्द नहीं होता मां को
अपने बच्चो की उदासी से रात भर रोती है, मां

2.कुदरत ने इंसान बनाया,
सिर्फ मां को बनाया भगवान
इस छोटी सी दुनिया में
मां का प्रेम ही है पहचान
कहते है दर्द सहके भी
खुशियां बांट लेती है मां
अपने बच्चे को भूखा देख
खाना त्याग देती है मां

3.सब साथ छोड़ दे तो भी
अपने बच्चे का साथ देती है मां
अपने बच्चो की खुशियां के लिए
दुनिया से नाता तोड़ लेती है मां
मां के प्यार की बराबरी
भला कौन कर सकता है ??
बदसूरत होने पर भी
दुनिया के राजकुमार का दर्जा देती है ,मां

4.धिक्कार है उस संतान पर
जो अपनी मां को रुलाता है।
जिसने तुझको जन्म दिया
उसको ही छोड़ आता है
खुद जमीन पर सोकर तुझको
पलने में सुलाया है
उस मां का तो सम्मान कर
जिसने अपना दूध पिलाया है

  1. बच्चा भूखा हो तब तक
    एक अन्न नहीं खाती है
    बच्चों का दुख देखके
    मां तड़प जाती है
    मां की महिमा का
    मैं क्या कर सकता हूं बखान
    कुदरत ने बनाया मां को
    उसका प्रेम ही है पहचान।

लेखक
वेदनारायण ठाकुर पिता रमेश कुमार ठाकुर दुर्ग पॉलीटेक्निक स्टूडेंट
पता _ ग्राम व पोस्ट तर्रा ब्लॉक पाटन जिला दुर्ग छत्तीसगढ़