पाठकों की पाती में आज पढ़िए नारायण प्रसाद वर्मा “चंदन” की कलम से….एक शहीद के अंत्येष्टि

एक शहीद के अंत्येष्टि

सुसक सुसक महतारी रोये, रोय ददा मुँह फार।
आज तिरंगा ओढ़ आय हे, भारत के रखवार।।
गाँव शहर सब कलपत हावय,रोवत तरिया पार।
नता सबो सुसकै सुरता मा,धर-धर आँसू ढ़ार।।
आज तिरंगा ओढ़ आय हे,………….

कोन पढ़े आँसू के भाखा, नैनन नीर बहाय।
नौं महिना जे रखे पेट मा,धीरज कोन बँधाय।।
छूट डरे तैं कर्ज दूध के,बढ़े तिरंगा शान।
मोर कोंख हा पावन होगे,पाके पूत महान।।
रहे सलामत मोर देश हा,करौं तोर जोहार।।
आज तिंरगा ओढ़ आय हे……………..।।

हाथ गोड़ हा मोर टूटगे,टूटिस जबर पहाड़।
जेन खाँध मा जाना मोला, सुतगे हाबय ठाड़।।
लेग जते मालिक मोला तैं,मरे परे मैं हाड़।
कोन दिही आगी पानी अब,घर हा परे उजाड़।।
हाय ददा हा रोवत भारी,चारो खुँट अँधियार।।
आज तिरंगा ओढ़ आय हे,………

बिलख बिलख बहिनी ब्याकुल हे,करम फूटगे मोर।
सुख दुख मा अय शोर करैया, संग छूटगे तोर।।
संकट मा जब देश फँसे तब,राखी धरम निभाय।
लाखों बहिनी के रक्षा बर,तैंहर प्राण गवाँय।।
धीरज कोन धरावय मन ला,दुख के घड़ी अपार।।
आज तिरंगा ओढ़ आय हे,…………

कलप-कलप के तिरिया रोवय,उजर गये अहिवात।
आज सबो सुरता आवत हे,गुजरे दिन के बात।।
तोर नाम के चूड़ी बिंदी, पहिरँव जनम हजार।
हे शहीद के विधवा बनना, बार बार स्वीकार।।
जय हिंद जय भारत माता, कोरा अपन सम्हार।।
आज तिरंगा ओढ़ आय हे,……….

नारायण प्रसाद वर्मा “चंदन”
ग्राम ढाबा भिंभौरी जिला बेमेतरा
राजधानी के कई साहित्यिक सामाजिक और सांस्कृतिक मंचों से सम्मानित।