राजेंद्र साहू (अंडा)
अंडा । छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा में बसे गांव आलबरस, जिला दुर्ग से 16 किलोमीटर दूर तंदूला और शिवनाथ नदी के संगम तट में लगभग 3000 आबादी वाला छोटा गांव है । आलबरस अपने छोटे से आंचल में अनेक प्रतिभाओं और अनमोल रतनों को पूरे देश में बिखेर कर गौरान्वित होकर जगमगा रहा है । शिक्षा , बीएसपी , स्वास्थ , नगर निगम एवं भारतीय डाक विभाग में ग्राम आलबरस के अधिकारी व कर्मचारी अपनी सेवा दे रहे है । लेकिन आलबरस के पवित्र माटी में सबसे ज्यादा वर्दी पहन कर देश की सेवा करने की ललक युवाओं में है भारतीय सेना से लेकर नगर सैनिक तक कुल 46 जवान छत्तीसगढ़ के घोर नक्सली क्षेत्र दंतेवाड़ा बीजापुर , नारायणपुर , सुकमा से लेकर देश के दुर्गम कठिन पस्थिति वाला क्षेत्र लद्दाख एवं ग्लेशिया , आसाम एवं नागालैण्ड में अपनी सेवाएं दे रहे है । साथ ही साथ अन्य देश साऊथ अफ्रीका में भी अपनी सेवाएं दिये है इन जवानों में भारतीय सेना ( आर्मी ) के कुल 07 श्री भुवन देशमुख , देवलाल ठाकुर , खेमलाल बनकर , डामन नेताम , चन्द्र प्रकाश देशमुख , योगेश देशमुख , भिगू देशमुख , असम रायफल के 01 उमेश यादव , केन्द्रीय रिजर्व पुलिस ( CHF ) के कुल 02 टोमन लाल नेताम , पुकेश्वर देशमुख , औद्योगिक सुरक्षा बल ( csr ) के कुल 04 तुरेन्द्र देशमुख , देवेन्द्र देशमुख , जीतेन्द्र देशमुख , शंकर पारकर , छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल ( CAF ) के 12 गोपाल डहरिया श्याम देशमुख , यावराम देशमुख , रोशन पारकर , ढालसिंह देशमुख , केशचंद देशमुख , टिकेश्वर देशमुख , कामता डहरिया , अरूण बघेल , युगल किशोर चंदेल , कोमेश पवल ताकेश्वर यादव , जिला पुलिस बल ( or ) के कुल 18 युगल किशोर देशमुख ( सेवा निवृत्त ) , नारायण सेन , हेमलाल सेन , नोहर देशमुख , ईश्वर यादव , ताकेश देशमुख , रोशन देशमुख , अगेश्वर देशमुख , नंद कुमार पारकर , विनोद देशमुख , डिलेश्वर देशमुख , ईश्वर पदल , उत्तम देशमुख , राजीव देशमुख , गणेश चेलक , रिंकू देशमुख , टोमन लाल चंदेल , डामन पारकर , मोहनी पारकर एवं छत्तीसगढ़ नगर सैनिक के ( 01 ) विजय नेताम फौज एवं पुलिस विभाग में पदस्थ होकर गांव को गौरान्वित कर रहा है । M यहाँ के जवानों की कहानी वैसे ही है जैसे सोना आग में तप कर गहना बनता है छैनी हथौड़ों मार सड़कर जैसे पत्थर मुर्ती बनता है वैसे ही असुविधाओं , आर्थिक तंगी एवं गरीबी की आग में तपे है तैयारी के लिए मैदान के अभाव में बड़े – बड़े गिट्टे वाले सड़कों पर सुबह – सुबह 04 बजे से सड़कों में नंगे पैर दौड़ लगाए , उंची कूद और लंबी कुद के लिए नदी के रेत में पसीना बहाये कई जवान तो खेतो एवं ठेकेदारी में मजदूरी कर कठिन परिश्रम लगन से ये मुकाम हासिल किया है । वर्ष 1985 के पूर्व इस गांव से सेना एवं पुलिस विभाग में एक भी जवान नही थे लेकिन इसके बाद मानो गांव के जवानों को फौजी बनने का जुनून चढ़ गया वर्तमान तक एक – दो नही फौज का कंपनी तैयार हो गया जो गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत है । ( Vol . LTEall 98 % । गांव में आठवी तक स्कूल है हाई स्कुल पढ़ने के लिए गांव से लगभग 05 किमी दूर निकुम जाना पड़ता है । पूर्व में रोड़ सही नहीं होने कारण सायकल चलाना भी मुस्किल रहता था जिसके कारण बरसात के दिनों में किचड़ से खेल कर स्कुल जाना पड़ता था फिर भी जवान हार नहीं माने और बढ़ाई कर अपना मुकाम हासिल किये । गांव की लगभग 60 प्रतिशत रकबा में आज भी वर्षा के भरोसे खेती होती है नहर मात्र राम भरोसे है क्योंकि जरूरत के समय सिंचाई के लिए पानी नहीं पहुंचता , ज्यादा वर्षा होने पर तंदूला एवं शिवनाथ नदी का संगम होने के कारण जल्दी बाढ़ आ जाता है और खेती को प्रभावित करता है जिससे किसानों को माड़ी नुकासान होता है लेकिन यहां के किसान मानों रेगिस्तान से हुआ खोद कर पानी निकाल ले , पाहड़ खोद कर रास्ता बना ले ऐसे फौलादी हौसले और भरोसा रखने वाले है । वे अपने सीमित संसाधनों से बान के खेती के बाद 40 प्रतिशत रकबा में नया – नया तकनीक पद्धति से साग – सब्जी की उन्नत खेती करते है । यहां के सब्जी राज्य के साथ अन्य राज्यों में भी सप्लाई किया जाता है । > पंथी के पितामह कहे जाने वाले एवं छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वर्ष 2021 में गुरुवासी दास सम्मन से सम्मानित श्री पुरानिक लाल चेलक आलबरस के ही निवासी है , जो आज भी गांव में लोगों का मार्ग दर्शन कर रहे है । इसी प्रकार आलबरस की कबकी टीम ” नव किशोर विजय मंडल पुरे छत्तीसगढ़ में अपना लोहा मनवा चुके है जिनकी विजय डंका का शोर पड़ोसी राज्यों में भी है । गांव में जसगीत , झांकी , मानसगान , फाग एवं पंची प्रतियोगिता प्रति वर्ष समस्त ग्रामवासियों के दान चंदा एवं सहयोग से होता है । त्यौहारों एवं अन्य उत्सवों में भी सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहते है जो गांव की धार्मिक , सांस्कृतिक एवं समाजिक सदभाव व आपसी भाईचारा को दर्शाता है।