आ गे-आ गे हरेली तिहार
गांव गली परत हे गोहार
दाई दीवार म बनावत हे
गोबर ले आनी बानी चित्र
गेंड़ी म लइका मन के
नाचा ल देखव विचित्र
लीम डारापाना खोंचत हे
राऊत मन घर दुआर
आ गे -आ गे हरेली तिहार
गांव गली परत हे गोहार
नांगर बखर के पूजा करके
चलो आज चीला चढ़ाबो
चीला के संग म
गुलगुला भजिया के मजा उड़ाबो
सावन सवनाही इतवारी मनाएन
अब मनाथन छग के पहिली तिहार
आ गे – आ गे हरेली तिहार
गांव गली पड़त हे गोहार
गरुवा गाय के पूजा करके
खवाबो ओला सुघ्घर लोंदी
नइ होवय एकर ले
बरसात म गाय गरूवा रोगी
फुरहुर पाना रुख राई के
हरियर धरती के करत जोहार
आ गे आ गे हरेली तिहार
गांव गली परत हे गोहार
रोमशंकर यादव