पाठकों की पाती : रोमशंकर यादव के लिखय ये छत्तीसगढ़ी कविता के माध्यम ले छत्तीसगढ़ के पहिली तिहार हरेली के गाड़ा गाड़ा बधाई

आ गे-आ गे हरेली तिहार

गांव गली परत हे गोहार

दाई दीवार म बनावत हे

गोबर ले आनी बानी चित्र

गेंड़ी म लइका मन के

नाचा ल देखव विचित्र

लीम डारापाना खोंचत हे

राऊत मन घर दुआर

आ गे -आ गे हरेली तिहार

गांव गली परत हे गोहार

नांगर बखर के पूजा करके

चलो आज चीला चढ़ाबो

चीला के संग म

गुलगुला भजिया के मजा उड़ाबो

सावन सवनाही इतवारी मनाएन

अब मनाथन छग के पहिली तिहार

आ गे – आ गे हरेली तिहार

गांव गली पड़त हे गोहार

गरुवा गाय के पूजा करके

खवाबो ओला सुघ्घर लोंदी

नइ होवय एकर ले

बरसात म गाय गरूवा रोगी

फुरहुर पाना रुख राई के

हरियर धरती के करत जोहार

आ गे आ गे हरेली तिहार

गांव गली परत हे गोहार

रोमशंकर यादव