पंडरिया- ब्लाक अंतर्गत रहमानकापा व सगौना के पास स्थित क्रांति जलाशय को विलोपित कर बड़े बांध के रूप में उन्नयन करने से ब्लाक के कृषि क्षेत्र को भारी लाभ होगा। साथ
ही पंडरिया ब्लाक सहित कई जिलों के लिए वरदान होगा। ज्ञात हो कि क्रांति जलाषय से
वर्तमान में सिंचाई का रकबा नहीं के बराबर है। रिकार्ड के अनुसार इस जलाशय से
रहमानकापा, बिरकोना, केषली, पंडरिया के कुछ मोहल्ले, नयापारा, सोनपुरी,
मैनपुरा, रेहुंटाखुर्द, नवागांव हटहा, व डोमसरा के करीब 1100 हेक्टेयर कृषि
भूमि में सिंचाई होती है, जबकि वास्तविकता यह है कि अधिक बरसात होने पर
नुकसान की स्थिति में ही कुछ खेतों तक पानी पहुंचती है। अर्थात क्रांति
जलाशय की उपयोगिता नगण्य है। वर्तमान क्रांति जलाशय को डूबान की क्षेत्र में लेेते हुुए,
रहमानकापा से केशलीगोडान के पास स्थित पहाड़ी को मिलाने पर बड़ा बांध बनाया जा सकता है। क्रांति जलाशय में पानी की आवक भी पर्याप्त है, बदौरा
आमा नाला, व अन्य छोटे नालाओं से पानी का भराव हो जाता है। बड़ा बांध
बनने से अधिक पानी की अवश्यकता होगी। जिसकी पुर्ति आगर नदी से की जा सकती है।
इसके लिए कुछ पहाड़ियों को काट कर आगर नदी के पानी को बदौरा नाला में डायवर्ट
करना होगा, जिससे आगर नदी का पानी बांध तक पहुंच जायेगा। जिससे बरसात के पानी को
बहने से रोका जा सकेगा, साथ ही बांध में भारी जलभराव हो सकेगा।इस बांध के बनने पर मुंगेली,कवर्धा तथा बेमेतरा जिला को भी पानी मिल सकती है।
भूू-जल स्तर में होगा सुधार- ब्लाक के नवागांव हटहा, महली, बघर्रा ,
नानापुरी, नरौली, कोडापुुुरी, महका, पौनी , तिलईभाट सहित दो दर्जन गांव ऐसे
है,जहां मार्च महिने से पेयजल की समस्या होने लगती है। यह समस्या लगातार बढ़ती ही
जा रही है। साल दर साल पानी का स्तर गिरते जा रहा है। जिसका मुख्य कारण ब्लाक मे एक भी जल परियोजना नहीं होना है। कृषि के लिए सिंचाई का साधन नहीं होने के
कारण कारण भू-जल का अंधाधून दोहन हो रहा है। जिससे पेयजल की भी समस्या
हो रही है। बड़ा बांध बनने से जलस्तर से लेकर सारी समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। शासन को क्षेत्र में कृषि विकास व जल संरक्षण की दिशा में जल्द ही ठोस कदम उठाना चाहिए।
दो गांव हो सकता है विस्थापित- क्रांति बांध का उन्नयन कर यदि बड़ा बांध
बनाया जाता है,तो दो गांवों सगौना व रहमान कापा को विस्थापित करना पड़
सकता है।

बड़ा बांध बनाने के लिए रहमान कापा व केशलीगोडान तक बंधान
बनाना पडेगा। इससे करीब 4 किमी जल भराव का क्षेत्र होगा। बांध बनाने से एक
ओर जहां पर्याप्त पानी मिल सकेगा, वहीं वनों को भी सुरक्षित रखा जा सकता है।इस बांध के निर्माण में तीन ओर पहाड़ी मिलेगी ,निचले वाले भाग में बंधान बनाना पड़ेगा।
पहले हो चुका है सर्वे- क्रांति जलाशय के उन्नयन व आगर नदी के पानी को
जलाशय तक लाने हेतु ग्रामीणों व तत्कालीन एसडीओ सिंचाई विभाग द्वारा करीब
20 वर्ष पूर्व प्रारंभिक सर्वे किया गया था।किंतु बजट नहीं होने व सरकार के इच्छा शक्ति के आभाव के चलते योजना आगे नहीं बढ़ पाई। वर्तमान में जल
समस्या को देखते हुए शासन द्वारा इस परियोजना पर तत्काल कार्य प्रारंभ करना चाहिए।
“उक्त परियोजना के सर्वे के संबंध में जानकारी नहीं है।जानकारी लेकर आगे की जानकारी दे पाऊंगा।”
कौशल किशोर शर्मा ,एसडीओ सिचाई विभाग पंडरिया।
