पाठ इलाके की सड़कें खराब,मिर्च व आलू की फसल लेने वाले किसान हो रहे परेशान

रिपोर्टर- चंद्रभान यादव

जशपुर। जगह-जगह गड्‌ढ़ों में भरा पानी, हादसे की आशंका।

बगीचा से सन्ना जाने वाली सड़क वर्षों से खराब, इसलिए लोगों को करनी पड़ रही 20 किलोमीटर अतिरिक्त यात्रा

नाशपाती, मिर्च और आलू के बंपर उत्पादन वाले डूमरपाठ, कामारिमा, पोस्टक, खैरापाठ आदि क्षेत्राें में सड़काें का बुराहाल है। बगीचा से कामारिमा सन्ना सड़क का निर्माण करीब 10 साल पहले हुआ था। पर इसके बाद इस सड़क को अपने हाल पर छोड़ दिया गया। ना तो सड़क की मरम्मत हो पाई और ना ही सड़क पर अन्य कोई आवश्यक सुधार किए गए।नतीजा 26 किमी की यह सड़क अब बह चुकी है। सड़क पर डामर का नामो निशान तक नहीं बचा है। चारपहिया वाहनों से इस सड़क पर आवागमन बंद है। सड़क पर लोग सिर्फ दोपहिया वाहन या पैदल चल पा रहे हैं।

बारिश में सड़क पूरी तरह से बह चुकी है। ऐसी स्थिति में बगीचा के निवासियों को सन्ना जाने के लिए रौनी होते हुए जाना पड़ रहा है। रौनी के रास्ते पर 11 किमी की घाटी है और घाटी में भी सड़क की हालत बेहद खराब है। उपर से लोगों को ज्यादा दूरी तय करनी पड़ रही है। बगीचा से यदि कामारिमा के रास्ते से सन्ना जाया जाए तो लोग 28 किमी की दूरी तय कर सन्ना पहुंच जाते हैं।

पर इन दिनों रौनी होते हुए लोगों को 47 किमी का सफर तय करना पड़ रहा है। बगीचा के निवासी ठाकुर दीपेश सिंह ने बताया कि बरसात के दिनों में सन्ना का सफर ना सिर्फ परेशानियों के साथ जोखिम भरा भी है, क्योंकि दोनों ही सड़कों की हालत खराब है और हर वक्त दुर्घटना का डर बना रहता है।सड़क खराब होने से डूमरपाठ, कामारिमा, पोस्कट सहित कई गांव बरसात के दिनों में कट जाते हैं। गांव तक पहुंचना मुश्किल भरा होता है। इलाके में ऐसे भी कई गांव हैं, जहां आपताकालीन स्थिति एंबुलेंस का पहुंच पाना भी मुश्किल होता है। बीते साल फूड प्वाइजनिंग से पहाड़ी कोरवा परिवार के बच्चों की मौत के बाद तात्कालीन कलेक्टर महादेव कावरे व उनकी प्रशासनिक टीम को प्रभावित गांव में पहुंचने के लिए कलेक्टर सहित पूरे प्रशासनिक अमले को कई किमी पैदल चलना पड़ा था।गांव के किसानाें को बाजार पहुंचने में हो रही दिक्कत

ग्राम पंडरापाठ के किसान अशोक गुप्ता, पोस्कट के किसान संजय राम ने बताया कि जब राजपुरी वाली सड़क सही थी तो वे अपना माल सीधे पिकअप व ट्रकों में लोड कर बगीचा होते हुए अंबिकापुर की मंडी में भेजते थे, जहां से पूरा माल यूपी और बिहार की बड़ी मंडियों तक पहुंचता था। लेकिन अब सड़क खराब होने से उन्हें अपना फल व सब्जी रौनी होते हुए बगीचा अंबिकापुर भेज रहे हैं। इसमें उन्हें ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।पिछड़े वर्ग के लोग प्रभावित

यह सड़क जिन गांव को जोड़ती है वह जनजाति बाहुल्य के लाेग रहते हैं। इलाके के गांव में अति पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा के साथ-साथ नगेशिया, डिहारी कोरवा सहित अन्य जनजाति समुदाय निवासरत हैं। जनजाति बाहुल्य गांव तक सड़क की हालत खराब होने की वजह से ना तो गांव का विकास हो रहा है और ना ही जनजातियों का।नदी पर पुल भी नहीं बना

इस सड़क पर आवागमन ज्यादा होने के बावजूद राजपुरी नदी पर पुल नहीं बन पाया है। पूर्व में पीडब्लूडी विभाग द्वारा सड़क तो बना दी गई थी। पर नदी में पुल का निर्माण नहीं हो पाया था। यह नदी बगीचा से सन्ना निकलते ही रास्ते में पड़ती है। आज भी इस सड़क पर चलने वाले लोग नदी पार कर ही सफर कर रहे हैं बरसात के बाद शुरू हाेगा सड़क का निर्माण

बगीचा, कामारिमा सड़क निर्माण की स्वीकृति व टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। 26.6 किमी की इस सड़क का निर्माण 2285.14 लाख रुपए की लागत से किया जाएगा। बरसात के बाद इस सड़क का काम शुरू कर दिया जाएगा। इसके बाद लोगों की समस्या खत्म हो जाएगी।

जीआर जांगड़े, ईई, पीडब्लूडी जशपुर