रायपुर।शैलचित्र कला मानव इतिहास के ऐसे सबसे प्राचीन प्रमाण हैं जिनके माध्यम से हम अपने पूर्वजों के हजारों साल पुराने कार्यों को उनके वास्तविक सन्दर्भ में देख सकते हैं। पूर्वजों की इसी धरोहर को छात्रों, शोधार्थियों और आम जनता तक पहुँचाने के उद्देश्य से संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की अग्रणी संस्था इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र नई दिल्ली का आदि दृश्य (शैलकला) विभाग कई दशकों से निरंतर प्रयासरत है। शैलचित्र कला विषय पर कार्य करने वाला यह भारत का एकमात्र सरकारी विभाग है। इसी प्रयास की कड़ी में केंद्र के आदि दृश्य विभाग द्वारा पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़) के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग के संयुक्त तत्त्वाधान में विश्व शैलचित्र कला प्रदर्शनी का आयोजन 1 से 20 फ़रवरी, 2023 तक के लिए विश्वविद्यालय परिसर में यूटिलिटी सेंटर में किया गया।

प्रदर्शनी का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० केसरी लाल वर्मा द्वारा 1 फरवरी को किया गया। प्रदर्शनी में विश्व के पांच महाद्वीप एशिया, अफ्रीका, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया एवं यूरोप के विभिन्न देशों की शैलकला के छायाचित्र प्रदर्शित किये गए। एशिया महाद्वीप के तहत भारत के विभिन्न राज्यों की शैलचित्रों को प्रदर्शित किया गया जिसमें छत्तीसगढ़ की शैलकला पर एक स्पेशन सेक्शन भी प्रदर्शित है तथा जन जातीय आज भी इन चित्रों की अंकन किस रूप में हो रहा है इसकी भी झाँकी देखने को मिलती है। इस अवसर पर आदि दृश्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० रमाकर पंत जी ने शैलकला पर आधार व्याख्यान दिया। भारतीय इतिहास अनुसन्धान परिषद, नई दिल्ली के सीनियर फेलो प्रो रविकोरोसेट्टर जी ने मध्य भारत और दक्षिण भारत की शैलकला का तुलनात्मक विषय पर विशेष व्याख्यान दिया।


कार्यक्रम के इसी कड़ी में 2 फरवरी को शैलकला विषय पर दूसरा विशिष्ट व्याख्यान छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग के सेवानिवृत्त संयुक्त संचालक राहुल सिंह जी द्वारा दिया गया जिसमें छत्तीसगढ़ के पुरातत्त्व पर महत्त्वपूर्ण प्रकाश डाला। प्रदर्शनी के तहत ही दो दिवसीय बच्चों की कार्यशाला का भी आयोजन 1 व 2 फ़रवरी को किया गया। जिसमें केंद्रीय विद्यालय, नया रायपुर एवं .के बच्चे शामिल हुए। इस दौरान बच्चों ने विश्व के विभिन्न देशो के शैलकला को देखा और उन चितेरों को ड्राइंग शीट पर उकेरा। इस अवसर पर डॉ० दिलीप कुमार संत, डॉ० नितेश कुमार मिश्र, प्रो० दिनेश नंदिनी परिहार, प्रवीण सी के, जाकिर खान, डॉ० कमला राम बिन्द, आदि सम्मिलित रहे।