काम,क्रोध,मोह,मत्सर से मुक्त हो जाना ही मोक्ष—स्वामी निरंजन महराज, चुनौतियों का सामना करने आंतरिक शक्ति सबसे बड़ी पूंजी

संजय साहू

अंडा। दुर्गग्रामीण विधान सभा क्षेत्र के ग्राम बोरई में श्रीमद्भागवत कथा चल रहे हैं, जिसमें महाराज जी बता रहे हैं, कि जब तक हममें जीवन से हमें मिली सौगातों के प्रति धन्यवाद का भाव‌ नही आयेगा हम कभी खुश नही हो सकते,परिस्थितियों को जिस दृष्टिकोण से देखेंगे हम वही महसूस करने लगते हैं, संसार की रचना में समता का भाव है,हमारा विचार है जो भेद कर लेता है। सबके लिए चुनौतियां भी है और अवसर भी। कोई धन से सुखी तो तन से दुखी है ,हर पल चुनौतियों से भरा है जिसके लिए आंतरिक शक्ति की जरूरत होती है।जीवन में शुभ संकल्प हो,कल्याण की भावना हो तो सागर का भी मंथन कर अमृत प्राप्त किया जा सकता है।


दुर्ग ग्रामीण विधान सभा क्षेत्र के ग्राम बोरई में दीपक यादव परिवार एवं ग्रामवासियों के सहयोग से आयोजित भागवत कथा सप्ताह के गजेंद्र मोक्ष,सागर मंथन कथा संदर्भ में उक्त बातें कही,कथा को विस्तार देते हुए स्वामी जी ने कहा गजेंद्र जो अपने आप को महाबली होने का दंभ था परिवार का बल का अभिमान था विपरीत परिस्थि में असहाय हो जाता है और समर्पित भाव से जब नारायण को याद करता है प्रभु तत्काल उनकी सहायता करने पंहुच जाते हैं, मैं, मेरा से भरे हृदय में नारायण का निवास नही हो सकता। काम,क्रोध मोह,मत्सर से मुक्त होकर भगवत शरण हो जाना ही मोक्ष है। हमारा अपका जीवन भी सागर है,जहां अमृत भी है, रत्न भी है,सुर,सुरा और जहर भी है अपने अपने कर्मों से मंथन भी करते रहते हैं और कर्म अनुकूल मिलने वाली फल का व्यवहार गत ग्रहण करते रहते हैं। जिसके आचरण में दया, करुणा ,शील, क्षमा,परोपकार की भावना होता है वह अमृत का भागी हो जाता है।यानि कर्म और व्यवहार ऐसा हो कि हमेशा अमृत पान का अहसास होता रहे। इसमें उपस्थित शेषनारायण – राधिका यादव, परमानंद मूर्ति यादव,सुतिक्षण – तृष्णा यादव, रविशंकर – नेहा यादव,शिवानंद – तृप्ती यादव, गजल – विनीता यादव, मीनु-मनोज यादव, शशि – रामअवतार यादव करुणा-वेगेश्वर यादव, कावेरी-रविन्द्र यादव सुकृती – सुरेन्द्र यादव, माधुरी-कमलकान्त यादव सहित ग्रामीण जन उपस्थित थे।