विज्ञान और यांत्रिकी के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का दूसरा दिन… प्राकृतिक फाइबर की उत्पत्ति और उपयोगिता में केतोसेन और नैनो ट्यूब की दी जानकारी

दुर्ग।शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग एवं आईआईटी भिलाई के संयुक्त तत्वाधान में Recent Trends in Science and Engineering अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन के दूसरे दिन मे चतुर्थ तकनीकी सत्र मे त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू नेपाल से प्रो रामेश्वर अधिकारी का परिचय आईआई टी भिलाई के डॉ ध्रुव प्रताप सिंह द्वारा दिया गया. प्रो अधिकारी ने माइक्रोसकॉपिक विधियों सेम,टेम को समझाया, उन्होंने प्राकृतिक फाइबर की उत्पत्ति और उपयोगिता मे केतोसेन और नैनो ट्यूब पर सारगर्भित जानकारी प्रदान की. बी आई टी रायपुर से डॉ ख़्वाजा मोहिदीन ने मुक बधिर व्यक्तियों के लिए सांकेतिक भाषा मे आर्टिफिशल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग के योगदान को बताया तथा यह सांकेतिक भाषा किस प्रकार से उपयोगी हो सकती है ।

पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी प्रदान की. मौखिक प्रस्तुतीकरण मे नचिकेत जोशी, नारायण प्रसाद, राजरूप बनर्जी ने अपना शोध कार्य प्रस्तुत किया. सम्मेलन के पंचम सत्र मे आई एस बी एम यूनिवर्सिटी से डॉ एन कुमारस्वामी ने नवीनतम टेक्नोलॉजी मे लुमीन्ससेंट पदार्थों के उपयोग पर चर्चा की. उन्होंने नैनो कणो का हमारे दैनिक जीवन मे उपयोग के बारे मे समझाया कि किस प्रकार हम सभी प्रत्येक दिन नैनो कणो का उपयोग करते हैँ. आई आई टी भिलाई से डॉ सेशा वेम्पति ने पेरोव्स्काइट सोलर सेल के बारे मे बताया. सम्मेलन के पंचम सत्र मे आई एस बी एम यूनिवर्सिटी से डॉ एन कुमारस्वामी ने नवीनतम टेक्नोलॉजी मे लुमीन्ससेंट पदार्थों के उपयोग पर चर्चा की. उन्होंने नैनो कणो का हमारे दैनिक जीवन मे उपयोग के बारे मे बताया कि किस प्रकार हम सभी प्रत्येक दिन नैनो कणो का उपयोग करते हैँ. आई आई टी भिलाई से डॉ सेशा वेम्पति ने पेरोव्स्काइट सोलर सेल के बारे मे बताया.

उन्होंने प्रतिदिप्त रमन प्रभाव को जिंक ऑक्साइड का उदाहरण देतु हुए समझाया. शोधार्थिओं सुवेंदु कुमार पंडा, सपना सोनी, कान्हू अण्डीया, अजय नारायण साहू, नंदिता प्रसन्ना और लक्ष्मी नारायण साहू, सुलेमान, म्यानमार से ठंडर ज़ह विन, स्मिता ने अपने शोध कार्य प्रस्तुत किये. आईआई टी भिलाई के डॉ सावयासाची घोष ने क्वांटम हॉल प्रभाव को समझाया.रूंगटा कॉलेज भिलाई से डॉ पद्मावती श्रीवास्तव ने ब्लॉकचैन फ़्रॉन्टिर्स को उदाहरण देकर समझाया उन्होंने ब्लॉकचैन को इंटरनेट ऑफ़ ट्रस्ट का माध्यम बताया.त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू नेपाल से डॉ नारायण प्रसाद अधिकारी ने थरमोइलेक्ट्रिक प्रभाव और उससे संबधित प्राचलो को बताया और शोध विद्यार्थियों की शंका का समाधान भी किया. बी आई टी रायपुर से डॉ आर के मिश्रा ने लोकल मटेरियल को किस प्रकार से जोड़ कर एक मजबूत पदार्थ बनाया जा सकता है. आज के तकनीकी सत्रों का संचालन डॉ ध्रुव प्रताप सिंह, डॉ प्रवीण कुमार, प्रो के वी आर मूर्ति, प्रो रमाशंकर सिंह, डॉ अनीता शुक्ला, डॉ कुसुमांजलि देशमुख , डॉ विकास दुबे और डॉ सितेश्वरी चंद्राकर द्वारा किया गया.
शोधार्थिओं द्वारा पोस्टर प्रस्तुतीकरण किया गया जिसमे से शोधार्थिओं को क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार दिया जायेगा. कार्यक्रम को सफल बनाने में भौतिक शास्त्र और आईआई टी भिलाई के समस्त शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक, शोधार्थी एम.एससी द्वितीय एंव चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थियों का योगदान रहा। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विभागों के प्राध्यापक शोधकर्ता एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। पूरे कार्यक्रम का संचालन आईआईटी भिलाई कि शोध छात्रा अभिज्ञा द्वारा रोचकपूर्ण तरीके से किया गया