नगरी, सिहावा,बेलरगांव।सप्त ऋषियों की तपोभूमि एवं महानदी के पावन तट पर स्थित ग्राम उमरगांव में संपूर्ण ग्रामवासियों के सहयोग से सात दिवसीय श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ का दिव्य आयोजन बाजार चौक में किया गया। इस आध्यात्मिक अनुष्ठान में समस्त श्रद्धालुजनों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और भक्ति रस में सराबोर हो गए।
महाराज जी के दिव्य प्रवचनों में बहा भक्ति का प्रवाह
श्रीमद्भागवत कथा का रसास्वादन पूज्य आचार्य जय महाराज शर्मा जी के सान्निध्य में संपन्न हुआ। उन्होंने अपने दिव्य वाणी से कथा का वाचन करते हुए श्रद्धालुओं को भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का संजीव चित्रण कराया। प्रतिदिन श्रद्धालु भक्तों ने कथा के माध्यम से जीवन के गूढ़ रहस्यों एवं धार्मिक आचरण का सजीव अनुभव किया।

महाराज जी ने प्रवचन में कहा:
“भागवत मात्र एक ग्रंथ नहीं, बल्कि यह भगवान श्रीकृष्ण का दिव्य स्वरूप है। इसका श्रवण करने से जीवन के समस्त दुख-संताप समाप्त होते हैं। श्रीमद्भागवत से हमें धर्म, भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का अमूल्य संदेश प्राप्त होता है। यह जीवन को परमात्मा की ओर उन्मुख करने का सर्वोत्तम साधन है।”
उन्होंने विशेष रूप से प्रह्लाद चरित्र, ध्रुव कथा, श्रीकृष्ण जन्मोत्सव, गोवर्धन पूजा, रुक्मिणी विवाह, सुदामा चरित्र, एवं श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन किया। कथा के दौरान भजनों और प्रवचनों से वातावरण भक्तिमय बना रहा।
प्रतिदिन भव्य भंडारे का आयोजन
श्रीमद्भागवत कथा के दौरान प्रतिदिन ग्रामवासियों एवं श्रद्धालुओं के लिए महाप्रसादी भंडारे का आयोजन किया गया। भक्तों ने प्रेमपूर्वक भोजन प्रसादी ग्रहण कर धार्मिक लाभ उठाया। आयोजन समिति एवं ग्रामीणजन सेवा कार्य में निरंतर सक्रिय रहे।
अंतिम दिवस पर हुआ महाआरती एवं पूर्णाहुति यज्ञ
सप्ताह भर चली कथा के अंतिम दिवस महाआरती एवं पूर्णाहुति यज्ञ का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने गंगा जल एवं फूल अर्पित कर भागवत जी की पूजा की। संपूर्ण ग्राम वासियों ने मिलकर हरिनाम संकीर्तन किया और वातावरण “हरे कृष्ण, हरे राम” के मधुर संकीर्तन से गूंज उठा।
ग्रामवासियों का योगदान एवं समर्पण
ग्राम उमरगांव के सभी श्रद्धालुओं, सेवा दल, युवाओं, महिलाओं एवं वरिष्ठ जनों ने इस आयोजन को सफल बनाने में अपना विशेष योगदान दिया। आयोजन समिति ने सभी ग्रामवासियों को इस पावन आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए आभार प्रकट किया।
भागवत कथा का समापन और मंगलकामना
श्रीमद्भागवत कथा के समापन पर महाराज जी ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि जो कोई भी श्रद्धा पूर्वक इस कथा का श्रवण करता है, उसके समस्त कष्ट दूर होते हैं और उसके जीवन में आध्यात्मिक सुख-समृद्धि का संचार होता है। उन्होंने सभी भक्तों को जीवन में सत्कर्म, भक्ति, सेवा और परोपकार का मार्ग अपनाने का संदेश दिया।
इस दिव्य आयोजन ने ग्राम उमरगांव को आध्यात्मिक चेतना से सराबोर कर दिया और सभी श्रद्धालुओं के हृदय में भक्ति का दीप प्रज्वलित कर दिया।