संजय साहू
अंडा। शिक्षक कला व साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ ने कला व संस्कृति के संर्वधन हेतु विलुप्त हो रहे छत्तीसगढ़ी गीतों को पुनः स्मरण करने व पहचान दिलाने मकर संक्रांति के अवसर पर छत्तीसगढ़ी भूले बिसरे गीत “मया पिरीत” का आयोजन संयोजक डॉ.शिवनारायण देवांगन “आस” के संयोजन, विजय कुमार प्रधान कार्यक्रम प्रभारी के उपस्थिति व टीकाराम सारथी”हसमुख” प्राचार्य चुरतेली व सलाहकार शिकसा के अध्यक्षता में हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना बुधनी अजय व राजगीत शकुंतला सहंश ने प्रस्तुत कर किया। सर्वप्रथम संस्थापक व संयोजक डॉ.शिवनारायण देवांगन “आस” ने मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम पर प्रकाश डाला वहीं शिकसा के विस्तार पर चर्चा किया। प्रांताध्यक्ष कौशलेंद्र पटेल, महासचिव डाॅ.बोधीराम साहू, कोषाध्यक्ष महेत्तर लाल देवांगन व कार्यक्रम प्रभारी विजय कुमार प्रधान ने भी अपने अपने उदबोधन में कहा कि शिकसा शिक्षक व छात्र के सर्वागीण विकास के लिये संकल्पित है इसी कड़ी में संयोजक आस निरंतर प्रयासरत है।
कार्यक्रम के अध्यक्षता कर रहे टीकाराम सारथी”हसमुख” ने कहा आज शिकसा किसी परिचय के मोहताज नही हर कार्यक्रम सराहनीय व प्रसंशनीय है अंत में गीत सुनाकर मंत्रमुग्ध किया।
कार्यक्रम में रामकुमार पटेल व्याख्याता, हेमराज निषाद, चन्द्र कुमार चन्द्रा, रामेश्वर प्रसाद आदित्य, डाॅ.प्रमोद आदित्य, हरमन कुमार बघेल, हरनारायण साहू, ओ.पी.कौशिक “रतनपुरिहा”, हेमा चन्द्रवंशी, शिवकुमार अंगारे, अनिता चन्द्रा, मोहित कुमार शर्मा, रामलाल कोसले, मनोहर लाल यादव, डाॅ. तुलेश्वरी धुरंधर आदि ने पुराने गीत की प्रस्तुति किया।
कार्यक्रम का सफल संचालन राधेश्याम कवंर तथा आभार प्रदर्शन डॉ.शिवनारायण देवांगन “आस” ने किया।