शिक्षा विभाग में 40 वर्षों की गौरवशाली सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए श्री शत्रुहन सिंह बारले “शिक्षक की विदाई नहीं होती, एक युग की विदाई होती है”

दुर्ग। शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले श्री शत्रुहन सिंह बारले आज दुर्ग जिले के ग्राम खाँड़ा स्थित प्राथमिक शाला से प्रधान पाठक के पद से सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने अपने शिक्षकीय जीवन की शुरुआत 11 अगस्त 1986 को की थी। तब से लेकर आज तक, विभिन्न ग्रामों में सेवा देते हुए, उन्होंने हजारों बच्चों के भविष्य को आकार दिया और शिक्षा के क्षेत्र में अनुकरणीय मिसाल कायम की।

17 वर्षों तक ग्राम खाँड़ा में प्रधान पाठक पद पर सेवाएँ देते हुए, उन्होंने विद्यालय को केवल शैक्षणिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि नैतिक और सामाजिक दृष्टि से भी समृद्ध बनाया। उनके मार्गदर्शन में विद्यालय ने अनेक उपलब्धियाँ प्राप्त कीं और बच्चों को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

विदाई समारोह का आयोजन
उनके सेवानिवृत्ति के अवसर पर, विद्यालय में एक भावभीना विदाई समारोह आयोजित किया गया, जिसकी मेजबानी सहयोगी शिक्षिका विजयलक्ष्मी बघेल और संकुल समन्वयक जनार्दन साहू ने की।
समारोह में विशेष अतिथि के रूप में प्राचार्य जे.आर. साहू, बालवाड़ी कार्यक्रम के जिला समन्वयक प्रदीप कुमार शर्मा, ग्राम पंचायत के सरपंच नंदकुमार साहू, शाला प्रबंधन समिति अध्यक्ष गोवर्धन देशमुख एवं अन्य जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक, शिक्षकगण तथा बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।

सम्मान और उद्बोधन
समारोह में उपस्थित अतिथियों ने श्री बारले के योगदान की सराहना करते हुए उन्हें स्मृति चिन्ह, पुष्पगुच्छ और उपहार भेंट किए। विद्यार्थियों ने भी अपने प्रिय शिक्षक को उपहार और भावभीनी शुभकामनाएँ अर्पित कीं।

इस अवसर पर प्रदीप कुमार शर्मा ने कहा,
“शिक्षक केवल शिक्षा देने वाले नहीं होते, वे राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करते हैं। श्री बारले जैसे समर्पित शिक्षक जीवन भर अनेकों व्यक्तियों के जीवन में उजाला भरते हैं। उनकी दी हुई शिक्षा और संस्कारों की छाया हमेशा बनी रहती है। उनके कार्यों को आगे बढ़ाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”

भावनाओं से भरा माहौल
समारोह का वातावरण भावुकता से परिपूर्ण था। विदाई के इस अवसर पर विद्यालय की शिक्षिका, रसोइया, तथा अन्य सहयोगी कर्मचारियों की आँखों में आँसू छलक उठे। बरसों तक साथ काम करने का स्नेह, सम्मान और विदाई का दर्द स्पष्ट रूप से झलक रहा था। बच्चों के चेहरों पर भी अपने प्रिय शिक्षक से अलग होने का दुःख साफ दिखाई दे रहा था।

समाज और शिक्षा क्षेत्र में योगदान
श्री शत्रुहन सिंह बारले ने अपने शिक्षण जीवन में जहाँ विद्यालयों के भौतिक और शैक्षणिक स्तर को ऊपर उठाया, वहीं सामाजिक स्तर पर भी बच्चों और अभिभावकों के बीच शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाई। उन्होंने शिक्षा के मूल्यों को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य निःस्वार्थ भाव से किया।

समापन
श्री बारले का शिक्षकीय जीवन एक आदर्श और प्रेरणा है। उनका कार्यकाल यह प्रमाणित करता है कि सच्चा शिक्षक समय के साथ भले ही पद से सेवानिवृत्त हो जाए, परंतु समाज और विद्यार्थियों के हृदय में सदैव जीवित रहता है।
विद्यालय परिवार, ग्रामीण जन और सभी सहकर्मी उन्हें सम्मानपूर्वक विदाई देते हुए उनके स्वस्थ, समृद्ध और सक्रिय जीवन की शुभकामनाएँ दिए