श्रीमद् भागवत श्री कृष्णा कथा शांतिमय जीवन जीने की कला – पंडित कमलेश पांडेय

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पंडरिया-ब्लाक के ग्राम कंझेटा में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन स्व. कृष्णा चंद्रवंशी व उनकी धर्मपत्नी स्व.बुधीया चंद्रवंशी की स्मृति में किया गया है। श्रीमद् भागवत कथा के क्रम में व्यास पंडित कमलेश पांडेय जी के द्वारा श्री कृष्ण के सुंदर व रोचक कथा कही गई। रूखमणी विवाह के बाद अन्य सात पटरानियां जामवती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रवृंदा ,सत्या, भद्रा एवम लक्ष्मणा है। श्री कृष्ण परमात्मा है,तो आठ पटरानियां उनकी अष्टधा प्रकृति है। पुरूष श्री कृष्ण एवम आठ प्रकृति उनकी पटरानियां ही विश्व को पूर्णता प्रदान करती है।जामवती विवाह प्रसंग में स्यमंतक मणि की अद्भुत शिक्षाप्रद कथा है।सूर्य भक्त राजा सत्राजित को तपस्या से स्यमंतक मणि की प्राप्त होती है। उसका भाई प्रसेनजीत स्यमन्तकमणि को लेकर शिकार करने जाता है।प्रसेनजीत एक सिंह के द्वारा व सिंह एक बलवान रिक्षराज जामवंत के द्वारा मारा जाता है। श्री कृष्ण को मणि हथियाने का मिथ्या कलंक लगता है। जामवंत से युद्ध पश्चात श्री कृष्ण मणि प्राप्त कर लेता है। सत्राजित को मणि प्रदान करते हैं। मणि के ही कारण सतधन्वा सत्राजित की हत्या कर देता है। स्यमंतक मणि की कथा लोभ के दुष्परिणाम को बताती है।भौमासुर की कारागार में बंद सोलह हजार एक सौ कन्याओं के साथ श्री कृष्ण विवाह कर निरपराध वे निर्दोष कन्याओं को समाज में सम्मान व प्रतिष्ठा प्रदान करते है। जराशंध व भीम के युद्ध की कथा मानव जीवन के सत्यता को उजागर करती है।ईश्वर प्रदत्त शक्ति को प्राप्त कर जीव ईश्वर को ही भुल जाता है।अपने शरीर व संसार को मानव सर्वस्व समझ बैठता है।बुढ़ापा व रोग स्त्री जरासंध से मार खाकर जीव भगवान की ओर उन्मुख होता है। तब भी दयानिधान जीव को सहायता करते है। श्रीमद भागवत की प्रत्येक कथा एवम लीला पुरुषोत्तम श्री कृष्ण भगवान का प्रत्येक कार्य व्यक्ती व समष्टि को सूखी शांतिमय जीवन जीने की ओर प्रेरित करती है।वर्तमान युग में हर व्यक्ती कम से कम सर्वाधिक सफलता चाहता है। अतिमहत्वाकांक्षा व्यक्ति व समाज में अशांति व संघर्ष का सृजन करती है। सार्थक सत्संग की आवश्यकता आज कहीं अधिक है। आयोजक शबलदाऊ चंद्रवंशी,बलदेव चंद्रवंशी, परस चंद्रवंशी ने शेष सत्संग में अधिक से अधिक संख्या में श्रोताओं कथा श्रवण करने का आग्रह किया है।