आशीष दास
कोंडागांव/बोरगांव । दीपावली के पांच पर्वो की लड़ी में शामिल भाई दूज का पर्व गुरुवार को क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया। इस दिन सुबह ही घरों में इस पर्व की धूम शुरू हो गई थी। बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु की कामना कर रही थीं और भाइयों की ओर से उन्हे उपहार भेंट किए जा रहे थे। परंपरा के अनुसार बहनों ने भाइयों को तिलक लगाने के बाद नारियल आदि भी दिए। इस पर्व पर शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति रहा जिसके माथे पर लाल रंग का तिलक न सजा हो अन्यथा सबके माथे पर लगे टीके भाई दूज पर्व की महत्ता का अहसास करा रहे थे। परिवार के जहां बड़े सदस्यों ने इस पर्व की परंपरा को निभाया वहीं छोटे-छोटे बच्चों पर भी इस पर्व का रंग खूब देखा गया।बहन-भाई के अटूट प्रेम का प्रतीक भाई दूज का पर्व जिलेभर में हर्षोल्लास के साथ परंपरागत तरीके से मनाया गया। बहनों ने भाइयों के माथे पर तिलक कर जहां उनकी लंबी आयु की कामना की। वहीं भाइयों ने भी बहनों को उपहार भेंट कर उनके प्रति अपने प्रेम को दर्शाया। भैयादूज पर्व के चलते गुरुवार को बाजारों, बस स्टैंड व आदि जगहों पर दिनभर लोगों की भारी भीड़ रही।इस दिन यह मान्यता है कि सूर्य की पत्नी संज्ञा से दो संतानें थीं। एक पुत्र यमराज और दूसरी पुत्री यमुना। संज्ञा सूर्य का तेज सहन न कर सकी और छायामूर्ति का निर्माण करके अपने पुत्र और पुत्री को सौंपकर वहां से चली गई। छाया को यम और यमुना से किसी प्रकार का लगाव न था, लेकिन यमराज और यमुना में बहुत प्रेम था। यमराज अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे, लेकिन ज्यादा काम होने के कारण अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते थे। एक दिन यम अपनी बहन की नाराजगी को दूर करने के लिए उनसे मिलने पहुंचे। भाई को देख यमुना बहुत खुश हुई। बहन का प्यार देखकर यम इतने खुश हुए कि उन्होंने यमुना को खूब सारे उपहार भेंट दिए। यम जब बहन से मिलने के बाद विदा लेने लगे तो बहन यमुना से कोई भी अपनी इच्छा का वरदान मांगने के लिए कहा। यमुना ने उनके इस आग्रह को सुनकर कहा कि अगर आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन हर साल आप मेरे यहां आएं और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे। इसी के बाद हर साल भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है।
