नगरी/सिहावा,बेलरगांव। धमतरी जिले के नगरी विकास खण्ड बेलरगांव तहसील में पड़ने वाले ग्राम गढ़डोगरी(मा.) के वनों में विशाल पर्वत के नीचे में प्राचीन छठवीं सदीं से धरती पर जन्मे स्वयंभू श्री गणेश जी भगवान साक्षात प्रत्येक्ष रूप में प्रगट हुए हैं। जो आज देखते देखते बहुत ही बड़ा होगा। स्वयंभू गणेश भगवान जी के प्रांगण में उदगम के अलावा प्राचीन शिवलोक, ब्रह्मालोक, विष्णुलोक, माता मावली,शितलामाता तथा गर्गऋषि,गरूणजी महाराज के अलावा सभी देवी देवताओं का वास माना जाता है।

इस लिए यह ग्राम गढ़डोगरी (माल.) के नाम से जाना जाता है।इस ग्राम गढ़डोगरी से लगे पर्वत पर अदभुत सुरंग (गुफा) दर्शनीय योग्य है। जहां पर मां कालिका देवी की पिंडी स्थापित है।इसके अलावा गुफा के अन्दर विशाल पत्थर है। जहां पर कृष्णा लीला, सरस्वती,मोर, गरूण उस पत्थर पे चित्र रूप दर्शनीयों को दिखाई देता है।यह प्रमाणित माहत्मा एवं सैलानियों के द्वारा बताया जाता है।जो प्रत्येक्ष रूप से प्रमाण है।यह गढ़डोगरी के पर्वत के चारों तरफ से घीरा सिहावा से बेलर मार्ग में बसा हुआ है।

स्वयंभू गणेश भगवान के मंदिर प्रांगण में विशाल आम का वृक्ष है और उस पेड़ में एक खोल भी है। जहां पर सर्प और मेंढ़क की दोस्ती है दोनों एक ही साथ में रहते हैं।और उस पेड़ के पास जाने से भक्तों को दर्शन देते हैं।जो साक्षात प्रमाण भी है।और इस पर्वत में भी एक विचित्र बेल का पेड़ भी है जिसमें सात पत्ते, छः पत्ते, पांच पत्ते और चार पत्ते वाले पाएं जाते हैं।और तो और इस स्वयंभू गणेश मंदिर में रोजाना शाम को आरती के समय तीन भालुओं प्रसाद पाने के लिए भी आते हैं और प्रसाद खाकर फिर चले जाते हैं यह भी एक प्रमाण है।
नवरात्रि के समय में यहां पर ज्योति कलश प्रज्वलित करते हैं श्रद्धालुओं ने । यहां गणेश समिति के अध्यक्ष सी.पी. कोशिल, सचिव मनोहर सोनवानी,जोहन यादव, उपाध्यक्ष प्रेमलाल सोम, संरक्षक पन्ना मरकाम, सदस्य भागीराम साहू, रोहित भास्कर, मुकेश मरकाम,गैंदलाल साहू, पुष्पराज ध्रुव सहित ग्रामीण सेवा में लगे हुए हैं