सीजी मितान डेस्क…….”सेवा ही है कर्म मनुज का कहना सहज सरल होगा,निज जीवन में कर पाना उतना ही दुष्कर होगा” ये कथन हिंदी की प्रकाण्ड ब्याख्याता के कथन है ,जो मंच पर चढ़ते ही मंच संचालन में स्रोता को मंच में ही बांध लेते थे,जिनकी शिक्षकीय जीवन प्रथम सफर व्याख्याता के रूप में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अंडा से हुआ ,उनकी युवा शैली,चटक अंदाज़ बरबस ही छात्रों का ध्यान अपनी ध्यान बरबस ही खींच लेता था,हिदी की कविता पढ़ाने अंदाज़ ही अलग था कवियों के जीवन का उल्लेख तो ऐसे करते थे मानो स्वयं उससे मिले हो ढेरो कवियों की कविता उनके मानस पटल पर रचा बसा हो.,जयशंकर प्रसाद का पुरुष्कार कहानी का जीवंत चित्रण शायद किसी ने ऐसा किया हो एक पात्र मानो जीवित चल पड़ते हो मधुलिका और वरुण इर्द गिर्द के पात्र हो,चंद्रधर शर्मा गुलेरी 1915 में द्वारा लिखी कहानी 11 वी के हिंदी बुक की “कहानी उसने कहा था” कि उनकी व्याख्या एक शब्द ‘तेरी कुड़माई हो गई ‘आज भी जेहन में है,
ऐसे लोग उन्हें बघेल सर के नाम से जानते थे ,डी के बघेल पूरा नाम दिनेश कुमार बघेल उनका जन्म हाथीडोब, विकासखण्ड साजा, पूर्व जिला दुर्ग में हुआ ,सर्वप्रथम ग्राम अंडा जिला दुर्ग में हिंदी के ब्याख्याता के रूप में सेवा दिय।राहुद (गुंडरदेही ),कन्हाररपुरी,बालोद में प्रिंन्सिपल के रूप में तथा डाइट दुर्ग में सहायक प्राध्यापक के रूप में आखरी सेवा देते हुए 31-01-2021 को सेवा निवृत्त हुए ,दिनांक 01-05-2021 को पंचतत्व में विलीन इस प्रकार हिंदी के बेहतर काल का अंत हो गया।

हाई स्कूल अंडा में स्व श्री बघेल सर के विद्यार्थी रहे संजय कुमार सिन्हा की कलम से…….