सीजी मितान डेस्क….हमारे वेदों जो परंपरा गत धर्म कर्मकांडो का जो उल्लेख हुआ उसमे पूजन संस्कार का बहुत बड़ा महत्त्व उसी में एक परंपरा गुरु को भगवान से भी उपर का दर्जा एवम पूज्यनीय होने का दर्जा , भक्ति काल मे गुरु को के कुम्हार ,तो वर्तमान में गुरु को राष्ट्र निर्माता जैसे शब्दों से सम्मान प्राप्त है ,आदिकाल से आज तक गुरु का महिमा नही बदला है बस भुमिका बदल गई,कंही माँ के रूप कंही ,शिक्षक के रूप में और भी कई रूपो में विद्यमान है,मैं अपने शिक्षक को भी इन्हें रूपो में देखता हूं.
यूं तो शैक्षिक जीवन बहुत सारे शिक्षक से शिक्षा ग्रहण किया किया किन्तु कुछ ही शिक्षक अपने जीवन में अपनी छाप छोड़ जाते है, छगन लाल चंद्राकर सर का असर कुछ ऐसा ही था ,समय के पाबंद, थोड़ा क्रोधी स्वभाव,और एक बेहतर वक्ता के छवि रूप मैं उन्हें जानता हूँ, चंद्राकर सर कला परखी एवम कला के ब्याख्याता रहे ,चूंकि मैं साइंस का विद्यार्थी रहा हूँ इसलिए उनसे पढ़ने का अवसर कम ही मिला लेकिन साहित्यिक कार्यक्रमो रिहर्सल के दौरान एवम मंच में कार्यक्रम को दौरान बखूबी उनका सहयोग मिला,मुझे आ भी वह पल ऐसे याद है जैसे अभी घटित हुआ है,विपरीत परिश्थिति में भी ओ सहज रहते थे,मुझे भविष्य में वैकल्पिक शिक्षक के रूप में उनके साथ काम करने का भी अवसर मिला तो और उन्हें बेहतर तरीके जाना वे एक सुलझे हुए शिक्षक थे जिन्होंने मुझे आगे शिक्षकीय क्षेत्र में जाने के लिए प्रेरित किया आज मैं शिक्षक हूँ तो उन्ही का आशीर्वाद एवम दिशा निर्देश से

कुछ प्राप्त जानकारी के अनुसार श्रीमान घनश्याम चंद्राकर ऐवम श्रीमती विशू चंद्राकर के सुपुत्र के रूप में जन्म दिनांक 17-08-1961 को ग्राम कोकड़ी ,पोस्ट पाऊवारा ग्राम जिला दुर्ग में हुआ ,आप पहले ग्राम सेवक के पोस्ट सेवा दे चुके है आप शिक्षा विभाग में ब्याख्याता के पद पर जिला रायसेन (मध्यप्रदेश) बाड़ी में अपनी सेवा देते हुए हुए, ग्राम छिरहा नवागढ़ (बेमेतरा) स्थान्तरित हुए,इसके बाद आप शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला अंडा में लगतार सेवा में रहते ,दिनांक 31-08-2023 शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हुए, हम सभी आपके छात्र शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर आपके दीर्घायु जीवन कि शुभकामनाएँ देते है,
जय हिंद
आपके शुभेच्छा
संजय कुमार सिन्हा(शिक्षक)