रावे प्रोग्राम के तहत कृषि महाविद्यालय मर्रा के विद्यार्थी पहुंचे आमालोरी….इस बार किसानों को दी गई मशरूम उत्पादन की जानकारी

पाटन।कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र मर्रा पाटन के बीएससी कृषि के चतुर्थ वर्ष रावे प्रोग्राम के अंतर्गत महाविद्यालय के सह प्राध्यापक डॉ नितिन कुमार तुर्रे ने छात्र-छात्राओं एवं ग्राम आमालोरी के कृषकों को मशरूम उत्पादन के बारे में विस्तार पूर्वक प्रशिक्षण दिया। डॉ नितिन कुमार सर के अनुसार मशरूम एक पौष्टिक आहार है जिसमें उच्च कोटि के प्रोटीन खनिज लवण विटामिन पाए जाते हैं। मशरूम के औषधि गुण के कारण इसका महत्व बढ़ जाता है। मशरूम उत्पादन के लिए पैरा कुट्टी 2
से 3 इंच वाले, स्पॉन ,पानी ,कार्बेंडेजिम ,फार्मेलिन, पीपी बैग, की आवश्यकता होती है।

विधि के अनुसार लगभग 100 लीटर पानी में 10 किलोग्राम धान का कटा हुआ पैरा 7.5 ग्राम कार्बेंडेजिम 132 मिलीलीटर फार्मेलीन को लगभग 12 से 14 घंटे डूबा कर रखें तथा 12 घंटे तक पानी निकलते वक्त छायादार जगह में सुखाना चाहिए जब तक नमी 70% तक ना हो जाए। इसके बाद उसमे तीन पैकेट स्पॉन 250 (gm) वाले को अच्छे से मिलाएं तथा पीपी बैग में टाइट भरे तथा उसे रस्सी की सहायता से टाइट बांधे फिर उसमें चारों ओर से 8 से 10 छेद करें ताकि इससे अतिरिक्त नमी निकल जाएg इसके पश्चात लगभग 14 से 18 दिन बाद जब बैक सफेद दिखाई देने लगे तब बैग की झिल्ली फाड़ दें तथा उसमें प्रतिदिन पानी दें जिससे मशरूम निकलना शुरू हो जाएगा। इस तरह 10 किलोग्राम पैरा से 7 से 10 किलोग्राम तक मशरूम निकलता है। इस प्रकार प्राप्त मशरूम को न केवल सब्जी तथा विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजन जैसे पापड़ बड़ी अचार आदि बनाया जा सकता है।

मशरूम को गर्भवती महिलाओं तथा कुपोषण से ग्रसित बच्चों के लिए भी उपयुक्त माना जा सकता है और मशरूम को बेचकर अतिरिक्त धन भी अर्जित किया जा सकता है। इसका उत्पादन कर ग्रामीण महिला एवं बेरोजगार युवकों द्वारा भी करके अतिरिक्त आमदनी प्राप्त की जा सकती है। मशरूम उत्पादन की अधिक जानकारी के लिए कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र मर्रा पाटन में भी संपर्क कर सकते हैं।