पाटन।संत विनोबा भावे कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र मर्रा पाटन के चतुर्थ वर्ष के छात्र- छात्राओं ने रावे प्रोग्राम के अंतर्गत ग्राम आमालोरी के किसानों व ग्राम वासियों को जीवामृत बनाने की विधि का प्रदर्शन किया तथा इसके उपयोग के महत्व को बताया।
छात्रों ने गोमूत्र, गोबर ,बेसन, गुढ़,मिट्टी के उपयोग से जीवामृत बनाना सिखाया।
बनाने की विधि – जीवामृत बनाने की विधि-एक ड्रम में 200 ली. पानी डालें और उसमें 10 किग्रा ताजा गाय का गोबर, 10 ली गाय का मूत्र, 1 किग्रा बेसन (किसी भी दाल का आटा) 1 किग्रा, पुराना गुड़ और 1 किग्रा मिट्टी को मिला लें. यह सब चीजें मिलाने के बाद इस मिश्रण को 48 घण्टों के लिये छाया में रख दें. 10 से 15 दिन बाद यह मिश्रण इस्तेमाल के लिये तैयार हो जायेगा.
उपयोग की विधि-एक एकड़ जमीन के लिये 200 लीटर जीवामृत मिश्रण की जरूरत पड़ती है. किसान को अपनी फसलों में महीने में 2 बार छिड़काव करना होगा. इसे सिंचाई के पानी में मिला कर भी उपयोग किया जा सकता है.
जीवामृत को किसान अपने फार्म पर बना सकते हैं तथा इसके उपयोग से पौधों को पोषक तत्व मिलते हैं व हानीकारक किटों का नियंत्रण किया जा सकता है।यह कम खर्च में बनाया जा सकता है,जिससे उत्पादन में खर्च कम आता है।
छात्रों के द्वारा यह कार्य अधिष्ठाता डॉ. ओ. पी. परगनिहा, कार्यक्रम समन्वयक डॉ. नितिन कुमार तुर्रे एवं मृदा विज्ञान के प्राध्यापक डॉ दीपिका देवदास के नेतृत्व में यह प्रदर्शन किसानो व ग्राम वासियों के बीच किया गया। जिसमें संतोष चंद्राकर, हर्ष, गुलाब चंद्राकर, ईश्वर एवं अन्य किसान उपस्थित थे ।