दुर्ग, जिले की 77 पंचायतों को कुपोषण से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। जब ग्राम पंचायत करेला को कुपोषण मुक्त पंचायत के रूप में चयनित किया गया, उस समय आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक-1 में पंजीकृत बालक यक्ष का वजन मात्र 9.800 किलोग्राम था। उसकी स्थिति मध्यम कुपोषण की श्रेणी में आ रही थी। मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना के अंतर्गत आयोजित स्वास्थ्य शिविर में यक्ष का चिकित्सकीय परीक्षण कराया गया। यक्ष के माता-पिता, मेघा और फनेश्वर बंछोर को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती दुर्गेश्वरी वर्मा ने समझाया कि यदि समय रहते खान-पान और स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यक्ष की स्थिति गंभीर कुपोषण में जा सकती है। माता ने बताया कि यक्ष घर का खाना नहीं खाता और केवल बाजार के पैकेट वाले खाद्य पदार्थों पर अधिक निर्भर है।
पर्यवेक्षक श्रीमती ममता साहू और कार्यकर्ता ने संयुक्त रूप से गृहभेंट कर परिवार को पोषण के प्रति जागरूक किया। उन्हें बताया गया कि घर का बना पोषक भोजन, अंकुरित अनाज, और रेडी-टू-ईट खाद्य पदार्थों का समुचित उपयोग करना चाहिए, जबकि पैकेट वाली चीजों से बचना आवश्यक है। ग्राम सरपंच डॉ. राजेश बंछोर ने भी इस पहल में सहयोग करते हुए पोषण खजाना योजना के तहत फूटा चना, मूंग, मूंगफली, गुड़ आदि उपलब्ध कराया, जिससे यक्ष को पर्याप्त पोषण मिल सका। यक्ष को नियमित रूप से आंगनबाड़ी केंद्र भेजा जाने लगा, जहां वह अन्य बच्चों के साथ भोजन करने में रुचि लेने लगा। घर में सुबह अंकुरित अनाज और विभिन्न रेडी-टू-ईट व्यंजन दिए जाने लगे। इन समेकित प्रयासों का परिणाम यह हुआ कि अब यक्ष पूरी तरह सुपोषित हो गया है। वर्तमान में यक्ष का वजन 11.500 किलोग्राम और ऊंचाई 89 सेंटीमीटर है। वह अब सामान्य श्रेणी में आ गया है और पूरी तरह स्वस्थ है। परिवार के सदस्य इस सकारात्मक बदलाव से बेहद खुश हैं और शासन की योजनाओं तथा आंगनबाड़ी केंद्र की सेवाओं के प्रति आभार व्यक्त कर रहे हैं।
