पंडरिया।नेत्रदान महादान की कहावत को चरितार्थ करते हुए की विकासखंड पंडरिया के दुल्लापुर बाजार कस्तूरबा बालिका विद्यालय की शिक्षिका कामिनी जोशी ने मृत्यु के बाद अपनी दोनों आंखों दान कर समाज और शिक्षा जगत में अनुकरणीय कार्य किया है। उनकी सोच है कि आज दुनियाभर में अंधापन एक चिंता का विषय है, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के बाद अंधापन कार्नियल छति के कारण होता है। जो नेत्रदान से ठीक किया जा सकता है।
कामिनी जोशी का कहना है कि उनके बाद उनकी आँखों से कोई दूसरा इस खूबसूरत दुनिया को देख सके।
नवदृष्टि फाउंडेशन डोनेट संस्था से जुड़कर कामिनी जोशी ने ये साहसिक कदम उठाया। उनके इस विचार में उनका पूरा परिवार साथ दिया।उनके पति डॉ आर सी जोशी ने उनके विचारो में सहमति स्वम् भी नेत्रदान करने का फैसला लिया। दोनो ने एक साथ अपनी दोनो आँखों को दान किया।

कामिनी जोशी ने बताया कि वह भविष्य में देहदान कर अपना हृदय भी दान देना चाहती है।
इनका कहना है हमारे देश में एक करोड़ से ज्यादा लोग देख नही सकते हैं। ऐसे में जो लोग मृत्यु के बाद आँख डोनेट करते हैं, किसी और कि आखों के चमक बन जाते है,इससे बड़ा क्या दान हो सकता है।
उन्होंने कहा कि हम कुछ देर अंधेरे में रहते हैं तो हमको कितनी घबराहट सी हो जाती है।थोड़ी देर लाइट बंद में भी हम रह नहीं पाए, तो उनकी जिंदगी कैसी रहती होगी।जिनके आंख ही दिखाई न दे? जिन्होंने जीवन में उजाला देखा ही नहीं है।
