अनूप वर्मा
चारामा।देश के प्रचलित मनोरंजन टीवी चैनल पर प्रसारित होने वाले रियेलिटी शो इंडिया गॉड टेलेन्ट शो मुंबई के ग्रांड फिनाले मे विजय बनकर अपने घर लौट रहे अबूझमाड मलखंभ एव स्पोर्टस एकेडेमी की टीम के कलाकारो का चारामा नगर के कौरर चौक मे भव्य स्वागत आतिश बाजी और फुलमालाओ के साथ किया गया। मलखंभ टीम के कलाकारो को अपने बीच पाकर चारामावासी और स्कूली बच्चे गदगद नजर आये। वही भव्य स्वागत और सम्मान को देखकर टीम के कलाकार भी गदगद हो उठे । कलाकारो के आगमन के साथ ही सभी कलाकारो के साथ सेल्फी और फोटो लेने लगे, सभी अपने केमरे मे उस पल को केप्चर करना चाहते थे, सभी छोटे उम्र के कलाकारों ने उपस्थित लोगों ने अपनी गोद में उठा लिया।जिसके बाद कलाकरो ने विजयी ट्राफी को सबके पास लेजाकर दिखाया। वही कौरर चौक मे स्थित स्व राम प्रसाद पोटाई के प्रतिमा पर कलाकारो ने माल्यापार्णन कर उन्हें प्रणाम किया। सभी ने कलाकारो को उनके आगामी भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दी। टीवी शो मे बस्तर के अबूझमाड क्षेत्र से कालाकारो का मुबई तक पहुँचना ही लोगो को चौकाने वाला रहा , किसी ने यह सोचा भी नही होगा कि पुरे इंडिया भर के कालाकारो को पछाड़ कर नारायण पुर की यह टीम विजयी बनेगी।


कार्यक्रम में शुरू से ही एकेडमी की टीम को सराहना मिलती रही और धीरे-धीरे अपने प्रदर्शन के बूते फाइनल तक पहुंच गई।फाइनल में भी अबूझमाड़ के हुनरबाजों ने अपने प्रदर्शन से दर्शकों को दांतों तले उंगलियां दबाने मजबूर कर दिया और फाइनल मुकाबले में जीत भी हासिल कर ली। दरअसल अबूझमाड़ के आदिवासी बच्चों को इस मुकाम तक लाने वाले सीएएफ के जवान मनोज प्रसाद हैं। उन्होंने आदिवासी बच्चों को मलखंभ का प्रशिक्षण देते हुए जहां राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलवाई।यही नहीं, इन्हीं बच्चों में से एक ने मलखंभ के हैंडस्टैंड में विश्व रिकॉर्ड भी कायम किया है। मनोज की ही शिद्दत का परिणाम है कि अबूझमाड़ के आदिवासी बच्चे पूरे देश के लिए चमकते सितारे बनकर उभरे हैं।

दरअसल इस शानदार जीत के असली हीरो अबूझमाड़ में तैनात सीएएफ के जवान मनोज प्रसाद हैं। उत्तरप्रदेश के बलिया जिले में जन्मे सीएएफ के जवान मनोज के पिता की नौकरी के चलते उनका बंगाल जाना हुआ। वहीं उनकी शिक्षा पूरी हुई। बचपन से उन्हें दौड़ का शौक था, जिसके कारण एथलेटिक्स से उनका जुड़ाव हुआ। चूंकि एथलेटिक्स बड़ा कष्टसाध्य खेल है और बचपन से ही उन्होंने इसी क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने की ठान ली। दौड़ के लिए उनके पास अच्छे जूते भी नहीं थे। लगातार वे इसी खेल में आगे बढ़ते रहे और इसी के बूते उनका चयन छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के लिए हो गया।

साल 2016 में मनोज ने महाराष्ट्र में मलखंभ की विधा सीखी। मलखंभ में लकड़ी के एक खंभे पर तरह-तरह की कलाबाजियां दिखाने के प्रति उनका रूझान जागा और मुंबई के समर्थ व्यायाम शाला के उदय देशपांडे से मलखंभ के गुर सीखे। इसी बीच उनकी मुलाकात पारस यादव से हुई। दरअसल पारस एक डांसर और स्टंटमैन भी हैं, जो आगे चलकर मनोज की टीम का हिस्सा बने।महाराष्ट्र से आने के बाद मनोज की पोस्टिंग एसटीएफ में हुई और उन्हें नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ में पदस्थ किया गया। उन्होंने एसटीएफ के कैंप में ही मलखंभ बनाया और इसका अभ्यास करते रहे। साथ ही नक्सल उन्मूलन अभियानों में भी अपनी ड्यूटी में भी मुस्तैद रहे।2017 में अबूझमाड़ के आदिवासी बच्चों को मलखंभ का प्रशिक्षण देने का निर्णय लेते हुए वे इसे क्षेत्र में पहचान देने जुट गए। चूंकि मलखंभ यहां के लिए नया खेल था, ऐसे में उन्होंने इसका प्रदर्शन इसी साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस समारोह में किया। इस प्रदर्शन को खूब सराहना मिली, जिसके बाद इसके प्रशिक्षण की शुरूआत नारायणपुर के रामकृष्ण मिशन आश्रम से की गई। आश्रम से पोटा केबिन व स्कूलों में उन्होंने मलखंभ की नींव रखी।प्रशिक्षण का सिलसिला लगातार जारी रहा और सूरजपुर में 5 से 7 सितंबर 2019 को मलखंभ स्पर्धा में नन्हें खिलाड़ी के रूप में राजेश कोर्राम ने अपने से दोगुने वर्ग के सीनियर खिलाड़ी को हराकर अबूझमाड़ को स्वर्ण पदक दिलवाया।

फिर मार्च 2020 में बिलासपुर में हुई राष्ट्रीय स्पर्धा में 8 स्वर्ण व 3 कांस्य पदक अबूझमाड़ के बच्चों ने अपने नाम किए।2021 में कोविड महामारी के बीच जहां स्कूल-आश्रम बंद कर दिए गए, वहीं मनोज भी गश्त-सर्चिंग अभियान में जुट गए। सभी बच्चे अपने-अपने गांव जा चुके थे और ऐसे में उन्हें वापस लेकर आना खासा मुश्किलों के साथ ही जोखिम भरा था। उन्होंने एक-एक कर 20 बच्चों को इकट्ठा किया और लगातार दो सालों तक उनके रहने व खाने का इंतजाम भी किया। इस बीच इन दो सालों में बच्चों ने मलखंभ का अभ्यास जारी रखा।
धीरे-धीरे लोगों का सहयोग मिलना शुरू हुआ और मलखंभ एकेडमी के लिए हाईस्कूल मैदान में जगह दी गई।
इसके बाद बारिश का मौसम शुरू हुआ और मैदान में प्रशिक्षण प्रभावित होने लगा। मनोज और उनके खिलाड़ियों ने प्रभावित हो रहे अभ्यास के लिए इनडोर हॉल की व्यवस्था करनी शुरू कर दी। इसके लिए सभी ने मिलकर अपनी जमा पूंजी लगा दी, लेकिन हॉल निर्माण पूरा नहीं हो पाया। अथक प्रयास के बाद हॉल बनकर तैयार हुआ और बारिश के बावजूद उन्होंने अपना अभ्यास जारी रखा।

लगातार किए गए अभ्यास के बाद 26 से 30 सितंबर 2021 को उज्जैन में हुई राष्ट्रीय मलखंभ प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ ने 58 पदक जीतकर ऐतिहासिक जीत हासिल की। जून 2022 में खिलाड़ियों ने पंचकुला में खेलो इंडिया यूथ गेम्स में बालक व बालिका वर्ग की टीम चैंपियनशिप में तीसरा स्थान हासिल किया। अक्टूबर 2022 में गुजरात में नेशनल गेम्स में अबूझमाड़ मलखंभ अकादमी के खिलाड़ियों ने सीनियर स्तर पर चैंपियनशिप में 2 कांस्य पदक लिया। इस वर्ष भूटान में हुई मलखंभ वर्ल्ड चैंपियनशिप में अबूझमाड़ मलखंभ अकादमी के खिलाड़ियों ने भारत का प्रतिनिधित्व किया और छत्तीसगढ के खिलाड़ियों ने 3 स्वर्ण पदक भी जीते। इधर गोवा में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में 2 कांस्य पदक भी जीता।
इसी बीच रियेलिटी शो इंडियाज गॉट टैलेंट का ऑडिशन खिलाड़ियों ने दिया, जिसमें उनका चयन भी हो गया। पहले चरण में भारत की 120 हुनरमंद टीमों ने हिस्सा लिया, जिसमें मुख्य 16 टीमों में अबूझमाड़ मलखंभ एकेडमी ने अपनी जगह बनाने ने में कामयाब हुई। टीम में सबसे छोटे खिलाड़ी सुरेश पोटाई और सबसे बड़े खिलाड़ी पारस यादव रहे। सभी ने अपनी उत्कृष्ट देते हुए इस प्लेटफॉर्म में जीत हासिल की है।

इधर मलखंभ के प्रशिक्षक मनोज ने बीते 7 सालों में एक भी दिन निजी अवकाश नहीं लिया है और न ही वे अपने गृहग्राम ही गए। मनोज ने बताया कि यदि वे कुछ दिनों के लिए अपने घर चले जाते हैं तो बच्चों का प्रशिक्षण प्रभावित होगा।
टीम में प्रशिक्षक मनोज प्रसाद के साथ ही पारस यादव, नरेंद्र गोटा, युवराज सोम, फूलसिंह सलाम, श्यामलाल पोटाई, राजेश सलाम, राकेश कुमार वड़दा, मोनू नेताम, राजेश कोर्राम, शुभम पोटाई, अजमत फरीदी, समीर शोरी, सुरेश पोटाई शामिल हैं।

अब तक टीम ने
राष्ट्रीय स्तर पर 45 पदक
राज्यस्तर पर 120 पदक
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 3 पदक जीते हैं।इस स्वागत सम्मान के दौरान चारामा विकासखंड के शिक्षा विभाग,सहित सभी विभाग,स्कूली बच्चे,जनप्रतिगण,पत्रकार,हर वर्ग उपस्थित होकर उनको सम्मानित किया।