आशीष दास
कोंडागांव । गांवों के देश भारत में ग्राम पंचायतें सबसे अहम है। ग्रामीण भारत की तरक्की के लिए सरकारें तमाम योजनाएं इन्हीं पंयायतों के जरिए चलाती है। पंयायतों में वर्तमान समय में हर साल लाखों-करोड़ों रुपए आते हैं। सरकार समय समय पर अभियान चलाकर लोगों को बताती भी है कि कौन सी सरकारी योजनाएं उनके इलाके में चलाई जा रही हैं। जिसके लिए जिले के सभी पंचायतों में 2018-19 में 75000 रूपए खर्च कर नागरिक सूचना पटल पंचायत भवन के आसपास बनाया गया, जिसमें एक वित्तीय वर्ष की लेखा-जोखा सहित पंचायतों की कार्य योजना एवं किए गए कार्य अंकित किया जाए और ग्रामीणों को इसकी जानकारी सहजता से मिल सके।

ज्यादातर लोग इसके बारे में जानते ही नहीं_ लेकिन ज़िले के अधिकतर पंचायतों में नागरिक सूचना पटल की कोई अहमियत ही नहीं है कुछ जगहों को छोड़कर बाकी जगहों पर उस पटल में गांव में किए गए कार्य व लेखा-जोखा का कोई उल्लेख नहीं दिखाई देता, साथ ही कुछ पंचायत ऐसे हैं जहां आज तक पंचायत भवन में नागरिक सूचना पटल बनाया ही नहीं गया शायद इसलिए की ग्राम पंचायत के होने वाले कार्य का किसी को पता ना चले और सरपंच सचिव अपने मनमाने तरीके से गांव के कार्य योजना से हटकर सरकारी पैसों का जमकर दुरुपयोग कर अपनी जेबें गर्म कर सके। ज्यातादर लोग इस बारें में जानते नहीं है। ऐसी बहुत सी योजनाएं हैं, जिनके बारे में न तो सरपंच सचिव ग्रामीणों को बताते हैं और न ही लोगों को इनके बारे में पता चलता है।
ग्रामीणों को गांव के विकास में किए गए खर्च की जानकारी भी नहीं मिलती- उल्लेखनीय है कि 14वें/15वें वित्त, मनरेगा और स्वच्छ भारत मिशन के वार्षिक औसत निकाला जाए तो एक पंचायत को 20 लाख से 30 लाख रुपए मिलते हैं। ये आंकड़े बताना इसलिए जरूरी हैं, क्योंकि इन्हीं पैसों से गांव में पानी, घर के सामने की नाली, आपकी सड़क, शौचालय, स्कूल का प्रबंधन, साफ-सफाई और तालाब बनते हैं। लेकिन नागरिक सूचना पटल में कहीं भी इसका उल्लेख नहीं दिखता और ग्रामीणों को गांव के विकास में किए गए खर्च की जानकारी भी नहीं मिलती। इस विषय को लेकर कई ग्राम पंचायतों में हमने लोगों से जानने की कोशिश की क्या वो जानते हैं पंचायत में कितने काम होते हैं, सैकड़ों ग्रामीओं के जवाब न में थे।
ग्रामीण विकास के लिए आता है लाखों-करोड़ों, लेकिन किसी को पता नहीं_ सरकार हर साल लाखों करोड़ों रुपए एक ग्राम पंचायत को देती है। सरपंच और पंचायत सचिव समेत कई अधिकारी मिलकर उस फंड को विकास कार्यों में खर्च करते हैं। अगर ग्रामीणों को इसकी जानकारी होगी तो ग्रामीण न सिर्फ पंचायत के बैठक में पूछ पाएंगे, बल्कि सूचना के अधिकार के द्वारा पंचायतों से भी सवाल कर सकते हैं। शायद इसीलिए नागरिक सूचना पटल पर जानकारी देने में सरपंच सचिव बचते रहते हैं।
क्या कहते हैं जिला पंचायत सीईओ- इस विषय पर जिला पंचायत सीईओ प्रेम प्रकाश शर्मा का कहना है कि ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन के पास बने नागरिक सूचना पटल गांव के नागरिकों को जानकारी के लिए है जिसमें गांव में मूलभुत में किए गए कार्य, व्यय राशि एवं अन्य खर्च का विवरण ग्राम पंचायत के प्रस्ताव पारित कर उसमें समय-समय पर सचिव द्वारा अपडेट किया जाना है। जो काम गांव में स्वीकृत है मनरेगा व अन्य योजनाओं से उसकी जानकारी ग्रामीण व अन्य लोगों के लिए समय-समय पर अपडेट किया जाना रहता है। कई पंचायतों में सूचना पटल ना बनने के बात पूछने पर उन्होंने कहा कि अभी कोई नया आवंटन नहीं आया है पहले कभी आया था तो उसी के तहत ही सूचना पटल बना हुआ हैं।