अज्ञात वाहन की ठोकर से एक मवेशी की मौत, सड़कों पर मवेशीयों का जमावड़ा_ सरकार की महत्वकांक्षी योजना पर कालिख पोत रहे हैं गोठान समिति

आशीष दास

कोंडागांव/बोरगांव । नगर पंचायत फरसगांव में पैट्रोल पंप के पास अल सुबह लगभग 4:00 बजे अज्ञात वाहन के को ठोकर से एक मवेशी की मौत हो गई। दरअसल कोंडागांव जिले में चाहे गाँव, शहर, चाहे नेशनल हाइवे हो या शहर के मुख्य मार्ग या फिर गाँव की सड़के, इन सभी सड़कों मे मवेशियों ने पूरी तरह से कब्जा जमाये बैठा है। मगर पशु – पालको और ग्रामीणो मे इतनी भी इंसानियत नही है कि वे सड़क पर आवारा घुमंतू या जमे बैठे अपनी मवेशियों को सड़क से हटा दे और इससे संबंधित संगठन के लोगो को भी कोई सरोकार नहीं है। चाहे उनके अपने ही क्यों न सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाए या किसी की मौत। ये लोग उस वक्त सामने आते है जब कोई चार पहिया वाहन से गुजरते समय इस गौ माता मवेशियों को ठोकर लग जाती है। तब इस गौ माता की सोये हुए बेटे जाग जाते है, और वे उस बे-कसूर वाहन चालक पर अपना हाथ साफ कर लेने में नहीं कतराते।

आपको बता दे की नगर पंचायत फरसगांव रायपुर राजधानी से जगदलपुर जाने वाले मार्ग पर स्थित है और यह मार्ग काफी व्यस्त है, और अक्सर इस रास्ते से व्हीआईपी लोगों का ज्यादा आना जाना रहता है। एसे में नगर पंचायत व पुलिस को चाहिए कि वे अपने क्षेत्र के पशु पालको का अच्छे से क्लास ले और उन्हे जागरूक करने, व इससे संबंधित संगठनो के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाए, जिससे कि सड़क मे पशु न पहुंचे और किसी की दर्दनाक अकाल मौत न हो। अक्सर देखा गया है की मवेशी को बचाने के चक्कर में वाहन चालक बड़ी दुर्घटना को अंजाम देते हैं।

शासन की महत्वकांक्षी योजना पर पोत रहे कालिख-

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के द्वारा गांव के किसानो और पशुपालको को आर्थिक रूप से मजबूत करने कई योजनाएं चला रही है। जिसके अंतर्गत गांव में गौठान का निर्माण कराया गया है। गौठान समिति का गठन कराया गया है जिससे कि जानवर गांव के खेत खलियानों का फसलों का नुक़सान न करे। कोई आवारा मवेशी पशु सड़कों पर न आये, इन सभी के लिए गौठान समिति का भी गठन किया गया है जिसका इन्हे लाभ भी मिल रहा है और इन समिति के सदस्यों और अध्यक्षों के पास भी पशुएं है लेकिन फिर भी न जाने क्यों ? ग्रामीण व शहरी पशु पालक अपने जानवरो को व्यवस्थि नहीं रख रहे है। वही गौठान समिति के अध्यक्ष भी सरकारी मलाई खाने में व्यस्त है। जिसके चलते गौठानों में मवेशी भी नजर नहीं आती। वही सरकार के “नरुवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी” जैसे महत्वकांक्षी योजनाओ पर कालिख पोतने का काम लापरवाह समिति और पशुपालक बखूबी निभा रहे है। जिसके चलते विपक्ष को बोलने के लिए मुद्दा मिल रहा है ।

अपनी गलती को छुपाने सरकार पर लगाते है आरोप :-

मजेदार बात यह है कि ग्रामीण पशु पालक दूध, दही, मलाई तो खूब खा ही रहे हैं । अलग से अपने गाय का गोबर और गोमूत्र को भी राज्य सरकार को बेच रही है। फिर भी पशु पालक अपने गाय को अपने घर के कोठा में बांधकर नहीं रख रहे हैं। यह बहुत ही शर्मनाक बात है। ये पशु पालक सरकार के योजनाओं का लाभ तो ले रहे है, लेकिन जानबूझकर सरकारी व्यवस्था को भी खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। फिर जब हम अपने गौ माता की बराबर देखभाल नही कर सकते उन्हे व्यवस्थित नही रख सकते तो फिर हमे गौ पालने से क्या मतलब ? एसे मे तो हम पशु पालक अपनी स्वार्थ पूरा करने दूसरों को मौत के घाट उतारने अपने पशुओ को सड़क पर लावारिस छोड़ रहे है जो बहुत बड़ा अपराध है। वही इन मवेशी पालको की लापरवाही से सड़क में दुर्घटना घट जाती है तो ये अपनी गलती छुपाने सरकार से मुआवजा की मांग करते हैं या फिर सरकार पर दोष मढ़ देती है ।

दुर्घटना को अंजाम देने के नाम पर पशु पालकों पर सख्त कड़ी क़ानूनी कारवाही करनी चाहिए :

जिस प्रकार यातायात पुलिस हेलमेट पहनने के लिए वाहन चालको पर दबाव बनाते है मन चाहा जुर्माना ठोकते है वैसे ही राज्य के यातायात पुलिस को सड़क पर से मवेशियो द्वारा यातायात व्यवस्था को बाधीत करने और दुर्घटना को अंजाम देने के नाम पर पशु पालकों पर सख्त कड़ी क़ानूनी कारवाही कर जुर्माना और जेल भेजने जैसी कड़ी व्यवस्था बनानी चाहिए, जिससे की इस ख़राब व्यवस्था मे जल्द सुधार आये और शायद कुंभकरणीय नींद मे सोये गौ माता के लाडले नींद से जाग जाये, क्योंकि अक्सर नींद मे कई लोगो को बड़बड़ाने की आदत जो होती है । इसलिए बिना जाने सरकार के क्रिया कलापों और उनके महत्वाकांक्षी योजनाओ की आलोचनाए अक्सर फेसबुक , ट्वीटर , इंस्टाग्राम व सोशल मीडिया में करते रहते है । चाहे तो छत्तीसगढ़ की निंदा करने वाले समझदार जनता सरकार की निंदा न कर पशु पालको को जागरूक करने अपना फर्ज तो निभा सकता है।