छिंद से बने टोकरी की मांग राजधानी तक, 2 साल में 7 लाख की आय

जशपुर। छिंद की बनी आकर्षक टोकरियों के साथ समूह की महिलाएं।घांस की प्रजाति छिंदकांसा से चटाई, सूप और टोकरियां बनाने का काम जिले के ग्रामीण अंचल में एक विशेष जनजाति समुदाय द्वारा पीढ़ियों से किया जा रहा है। छिंद से बनी चटाई, टोकरियां व अन्य सामान की बिक्री पहले सिर्फ गांव के बाजारों में हुआ करती थी, लेकिन अब छिंद के बॉक्स व टोकरियां शहर के बाजार में भी धूम मचा रही है। जशपुर से लेकर रायपुर छिंदकांसा की टोकरियों की डिमांड है। कांसाबेल ब्लॉक के ग्राम कोटानपानी और शब्दमुंडा की महिलाएं समूह के जरिए छिंद की टोकरियां व बॉक्स बनाने का काम कर रही हैं।एनएलआरएम के कमलेश कुमार श्रीवास ने बताया कि वर्तमान में कोटानपानी की ज्ञानगंगा स्व-सहायता समूह के अलावा स्माइल आरती समूह, पूजा समूह, हरियाली समूह, और तुलसी समूह की महिलाओं ने छिंदकांसा की टोकरी व बॉक्स और अन्य उत्पाद बना रही है। समूह से जुड़ी कुछ महिलाएं परंपरागत तौर पर पहले घर पर छिंदकांसा की टोकरी व चटाई बनाने का काम करती थीं।जिसे वे स्थानीय बाजार में बेचा करती थीं, उनमें टोकरी बनाने की कला पहले से थी। इसे देखते हुए महिलाओं को एनएलआरएम के तहत आवश्यक ट्रेनिंग दी गई। हस्तकला की टीम द्वारा छिंदकांसा से डिजाइनिंग व कई साइज के बॉक्स व टोकरियाें का निर्माण करना सिखाया गया। साथ थी बॉक्स को आकर्षक बनाने के लिए उसकी रंगाई व नई आधुनिक डिजाइन बनाने के तरीका सीखाया गया। अब जो टोकरियां बन रही हैं वह देखने में बेहद आकर्षक हैं।राज्य स्तर पर हो चुका है महिलाओं का सम्मान : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कांसाबेल विकासखंड के ज्ञान गंगा समूह की अध्यक्ष सुखमिला पैकरा व सचिव लक्ष्मी बाई को आजीविका के क्षेत्र में छिंदकांसा से सामग्री बनाने के लिए उत्कृष्ट कार्य पर राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया है। मुख्यमंत्री ने सभी समूह की महिलाओं को अपनी शुभकानाएं देते हुए कहा था कि दूरस्थ अंचल के क्षेत्र की स्व-सहायता समूह की महिलाए भी गोठान से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही हैं।दो साल में 7 लाख से अधिक की टोकरियां बेचीं सिर्फ दो महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा इसे शुरू किया गया था। पर अब दस समूह की महिलाओं द्वारा छिंदकांसा की टोकरियों का निर्माण किया जा रहा है। इनमें से सिर्फ दो समूह की महिलाओं ने ही बीते दो साल में 7 लाख से अधिक की टोकरियां बेच दी है। प्रतिमाह प्रति महिला की कमाई अभी दस हजार रुपए है। वर्तमान में सी-मार्ट के माध्यम से भी इन टोकरियों को बेचा जा रह है। रायपुर में भी इसे खूब पसंद किया जा रहा है। विभिन्न स्थानों पर इसकी प्रदर्शनी तक लगाई जा चुकी हैं।