रिपोर्टर- चंद्रभान यादव
जशपुर। 3 माह से शिक्षा का मंदिर जर्जर मग़र इसका सुध कोई नहीं ले रहा जब कि जनप्रतिनिधियों से लेकर आला अधिकारियों को भी अवगत कराया गया है आवेदन के माध्यम से फिर भी मौन धारण कर बैठे हुए हैं अभी तक मरोमत नहीं हुआ है,हलाकि जब निजी रूम पर बैठाने का परमिशन तो दे दी शिक्षकों को और चल रहा आज तक गुजारा फिर भी बच्चों की भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है,


जर्जर सरकारी स्कूल का फोटो
आपको बता दें कि बगीचा विकासखण्ड के प्राथमिक शाला कुरकुरिया का है जहाँ स्कूल का छज्जा लकड़ियों का बना हुआ है जिसमें वह लकड़ी टूट चुका है और बहुत बड़ा खतरा होने का सम्भावना बना हुआ रहता है उसी स्थिति में जुलाई माह में बैठाया जा रहा था बच्चों को जब मामला उजागर होने लगा तो वहां से बच्चों को तत्काल एक निजी रूम में बैठाया जा रहा है जिसमें एक रूम मिला है बच्चों के लिए उसी में पहली से लेकर पांचवी क्लास तक का 42 बच्चों का जनसंख्या है,उसी 1 रूम में बच्चों शिक्षा ग्रहण करा रहे हैं,आप अंदाजा लगा सकते हैं कि एक ही रूम में 42 बच्चों को क्या शिक्षा सही से मिल पा रहा होगा जिसमें मकान मालिक का इतना भी जगह नहीं है कि तीनों कक्षाओं को अलग अलग रूम दे सके उसका भी निजी घर है उसे भी तो अपना समान या अन्य चीजों रखना उसी में है फिर जगह कहाँ से बन पाएगा जो रूम में बच्चों पढ़ाई कर रहे हैं साफ साफ आप तस्वीरों में देख सकते हैं कि उसमें कई समान रखा हुआ है और उसी रूम पर मकान मालिक का चारपाई गाड़ियों भी खड़ा रहता है उसी में 42 बच्चों का पालतू पशुओं जैसे बैठाया जा रहा है आप समझ सकते हैं,यह शिक्षा का रूम नहीं बल्कि पालतू पशुओं का अड्डा के समान है जब प्रधान पाठक पुनिया भगत से चर्चा की गई तो उन्होंने बताई की अगर कोई भी एक क्लास का बच्चों पढ़ाती हुं तो दूसरे क्लास का बच्चों चिलाने चीखने लगते हैं फिर ठीक से उन्हें शिक्षा भी नहीं मिल पा रहा है, मतलब आप भी अंदाजा लगा सकते हैं कि सारा दिन बीत रहा बच्चों को देख रेख में पढ़ाई नहीं,जब विभाग को और पंचायत को पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया था तो उसे तत्काल मरोमत करा सकते थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ,
25 स्कूल का जानकारी बना कर जिला में भेज दिया गया है जैसे जिला से सुकृत होता है उसके बाद उसे तत्काल मरोमत का कार्य किया जाएगा जो अति आवश्यक हैं,थोड़ा समय लग सकता है जैसे ही बजट आता है काम सुरु हो जाएगा।
विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी बगीचा, रेशमलाल कोसले