आज खुलेगा मां लिंगेश्वरी गुफा की द्वार, एक दिन पहले ही लगी भक्तों की कतार

आशीष दास

कोंडागांव/बोरगांव । कोंडागांव जिले के विकासखंड मुख्यालय फरसगांव से बड़ेडोगर मार्ग पर 09 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम आलोर से 03 किमी दूर झांटीबन लिंगेश्वरी माता की गुफा का द्वार आज खुलेगा। जिसे लेकर मंदिर समिति एवं जिला प्रशासन के सभी विभाग युद्ध स्तर पर तैयारी में जुटे हुए है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात किए गए हैं। पार्किंग हेतु अलग से व्यवस्था की गई है तथा मंदिर तक पहुंचने प्रत्येक चौक चौराहों पर पुलिस बल तैनात कर दर्शनार्थियों को मंदिर तक पहुंचने में मदद करने को तैयार है। क्षेत्र के समस्त जनप्रतिनिधि व प्रदेश कांग्रेस महामंत्री रवि घोष भी प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सभी प्रकार के व्यवस्था में जुटे दिखे।

पद चिन्ह देखकर क्षेत्र के भविष्य का किया जाता है आकलन_

बता दें कि प्रति वर्ष भादो महिना की नवमी तिथि के बाद आने वाले प्रथम बुधवार को इस प्रसिद्ध लिंगाई माता गुफा का द्वार खुलता है। सेवा अर्जी के बाद उसके अंदर रेत में उभरे पदचिन्हों को देखकर पेनपुजारी द्वारा वर्ष भर की भविष्यवाणी की जाती है। समिति के सदस्यों ने कहा कि प्रत्येक वर्ष अलग-अलग जीव जंतुओं के पद चिन्ह गुफा के अंदर रेत में उभरे रहते हैं। जैसे रेत पर यदि कमल फूल के निशान दिखाई दे तो धन संपत्ति वृद्धि, हाथी पांव के निशान दिखे तो परिपूर्ण धनधान्य, यदि घोड़े के खुर के निशान मिले तो युद्ध और कला, बिल्ली के पैर के निशान मिले तो भय, बाघ के पैर के निशान मिले तो जंगली जानवरों का आतंक और मुर्गी के पैर के निशान दिखाई दे तो अकाल का प्रतिक माना जाता है जिससे उस वर्ष क्षेत्र में के भविष्य का आकलन किया जाता है।

संतान की कामना लेकर दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु-

तत्पश्चात श्रद्धालुओं को दर्शनार्थ गुफा में प्रवेश दिया जाता है। संतान की कामना को लेकर दर्शनार्थी वहाँ खीरा लेकर जाते है उसे ही चढाया जाता है तत्पश्चात प्रसाद स्वरूप खीरे को नाखून से बराबर हिस्सों में फाड़कर दंपति उसे ग्रहण करते है। लोग संतान की कामना लेकर बहुत दूर दूर से यहाँ पर कतार बद्ध होकर अपनी बारी का इंतजार करते है। पिछले वर्षों में करोना के चलते दर्शनार्थी भीड़भाड़ से बचने लगे थे लेकिन इस वर्ष 1 दिन पहले से ही माता के दर्शन के लिए कतार में लग गए। जिसे देखते हुए इस वर्ष काफी भीड़ भाड़ होने की संभावना जताया जा रहा है।

दर्शनार्थियों से पूछने पर उन्होंने कहा कि पिछले 2 वर्ष से कोरोना काल के चलते वह दर्शन को नहीं आ पाए। माता के दर्शन के लिए राज्य के विभिन्न प्रांत सहित राज्य के बाहर दूसरे राज्य से भी दर्शनार्थी पहुंचने लगे हैं। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी एक दिवसीय लिंगई माता मंडई (लिंगेश्वरी माता मेला) का आयोजन दिनांक 7 सितम्बर 2022 को किया जा रहा है।

लिंगेश्वरी गुफा का रोचक जनश्रुति_

माता लिंगेश्वरी गुफा के संबंध मे एक रोचक जनश्रुति है, बुजुर्गों ने बताया कि एक बार एक कमार जाति का शिकारी शिकार की तलाश में झांटीबन के जंगल में भटक रहा था। इधर उधर तलाशने के बाद उसे एक खरगोश मिलता है। शिकारी अपने धनुष लेकर खरगोश के पीछे भागता है। पीछा करते करते सुबह से शाम हो जाता है शिकारी के हाथ कुछ नहीं आता अंत में वह खरगोश एक सुरंग नुमा बिल में घुस जाता है। शिकारी उसे बाहर निकालने का उपाय करके भी थक जाता है तथा उस बिल को पत्थरों से बंद कर गाँव लौट आता है तथा अपने साथियों से हेतु चलने का आग्रह करता है। शाम होने के कारण साथी लोग मना करते हैं। दूसरे दिन सुबह सारे लोग जाकर उस सुरंगनुमा गुफा में कुछ लोग घुस कर खरगोश की तलाश करते हैं किंतु वहाँ खरगोश नहीं मिलता। खरगोश के स्थान पर पत्थर से निर्मित लिंग की आकृति मिलती है। लोग निराश होकर वापस लौट जाते हैं। रात में प्रमुख ब्यक्ति को स्वप्न आता है कि साल में एक बार मेरा सेवा अर्जी भाद्रपद नवमी के बाद आनें वाले बुधवार को करोगे तो मैं तुम्हारी मनौती को पूरा करूंगी। ये बात पूरी गांव में फैल गईं, लोगों ने अपनी अपनी मनौती मांगी ,वे पूरी होने लगी, तब से अब तक अनगिनत निसंतानों के गोद में किलकारी गूँज चूकी है। माता के द्वार में भक्तजन आकर अपनी अपनी मांग रखते हैं। अगले वर्ष जिनकी मन्नत पूरी होती है वे माँई के चरणों में धन्यवाद सेवा पूजा अर्पण करते हैं। पहले ऐसे ही आयोजन होता था अब आयोजन समिति का गठन कर उसके मार्गदर्शन में मंडई का आयोजन किया जाता है। मंडई स्थल में निःशुल्क भंडारे (खिचडी) की व्यवस्था समाजसेवी लोगों एवं समिति की ओर से किया जाता है।