अक्षय तृतीया का त्यौहार मनाया गया।नए घड़े से जल चढ़ाकर घड़ा दान किया गया।


पंडरिया-नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में बुधवार को अक्षय तृतीया,परशुराम जयंती का त्योहार धूमधाम व पूरे हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया।सुबह से ही लोग मंदिरों में पूजा अर्चना करने पहुंच रहे थे।साथ ही लोग नगर के पेड़-पौधों व मंदिरों में पानी डालकर पूजा करते दिखाई पड़े।बाजारों में भी सुबह से घड़े की व गुड्डे-गुड़ियों की दुकाने सजी हुई थी।अक्षय तृतीया पर घड़े की पूजा कर इसमें पानी रखने की शुरुवात की गई।अक्षय तृतीया के अवसर पर बच्चों द्वारा गुड्डे-गुड़ियों का विवाह किया गया।विवाह के लिए शुभ मुहूर्त होने के कारण बाजार में काफी रौनक व चहल-पहल रही।अक्षय तृतीया में दान का अधिक महत्व रहता है,जिसके चलते लोग तिल, कपड़ा व सोने चांदी से बने सामान का दान किये।अक्षय तृतीया विवाह का शुभ मुहूर्त होने के कारण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वैवाहिक कार्यक्रम भी आयोजित हुए।
*अक्षय तृतीया का महत्व*-अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप ही शुभ फल प्रदान करने वाली तिथि है। ये प्रति वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाई जाती है।स्वयं सिद्ध तिथि पर सारे मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, उद्योग का आरंभ करना अत्यंत शुभ फलदाई माना जाता है।सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का अत्यंत महत्व है। यह वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है।मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया पर कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। जिसके लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती है।अक्षय तृतीया का फल अक्षय यानी कि कभी न मिटने वाला होता है। अक्षय तृतीया पर दान पुण्य का भी अत्यंत महत्व है। इस दिन किए गए दान पुण्य का कई गुना फल प्राप्त होता है।
अक्षय तृतीया मनाने के चार कारण बताया गया है।
अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम ने महर्षि जमदग्नि व रेणुका देवी के घर जन्म लिया था। भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है।इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है।अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम की पूजा करने का भी विधान है।