पंडरिया।क्षेत्र के वनों में इन दिनों डूमर के पेड़ पर फल लगे हुए हैं।इसका फल तना व शाखाओं में होता है।डूमर एक औषधीय पेड़ है।डूमर का पेड़,जंगलों में नदी के किनारे पाया जाता है। इसका वृक्ष बहुत विशाल होता है,इसके पत्ते मोटे-मोटे और छायादार होते हैं। यह पेड़ ज्यादातर ऐसी जगहों पर होता है, जहां पर पानी का अच्छा स्रोत होता है, जहां पर लंबे समय तक नमी होती है।इसका फल पीपल व बरगद के फल जैसा होता है।डूमर के फल लाल व हरे रंग के बहुत ही आकर्षक लगते हैं।यह बंदर,भालू,वन्य जीवों व पक्षियों का मनपसंद भोजन है।मीठा होने के कारण जानवरों के अलावा इनके फल को आदमी भी पसंद करते हैं।ब्लाक के आदिवासी वनांचल में ज्यादा पसंद करते हैं,तथा इसका सेवन करते हैं।पीपल ,बरगद,बेल व तुलसी की तरह इस वृक्ष को पूज्यनीय माना जाता है।

आयुर्वेदिक गुणों से भरा है डूमर– डूमर का फल पौष्टिक होने के साथ ही औषधीय गुणों से भरा हुआ है। डूमर के फूल नहीं होते हैं, इसमें सीधे फल लगते हैं।


डूमर के पत्ती को जानवर खाते हैं तथा इनके पत्तियों को पीस कर या पावडर बनाकर घाव तथा चोट पर लगाते हैं।पाइल्स में भी यह औषधीय का काम करता है।इसके पत्तियां, जड़ और फल का प्रयोग आयुर्वेद में दवाओं के तौर पर किया जाता है. यौन दुर्बलता दूर करने के लिए डूमर के फलों का नियमित सेवन काफी गुणकारी है. वहीं इसकी छाल और पत्तों का प्रयोग से सूजन और दर्द की समस्या दूर करने के लिए किया जाता है।गूलर के पुराने से पुराने घाव को भी ठीक किया जा सकता है।इसके फल को पावडर बनाकर नियमित सेवन करने से डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है।