आंगनबाड़ी केन्द्रों में कार्यकर्ता व सहायिका पद रिक्त होने से बच्चों का भविष्य अधर में, केंद्रों में नौनिहालों का बचपन बीत रहा है केवल खाने और खेलने में

आशीष दास

कोंडागांव/बोरगांव । राज्य शासन व महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को खिलौने और पढ़ाई के लिए सामान तो उपलब्ध है। बच्चों की देखरेख और उनके ज्ञानवर्धन की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका पर होती हैं। विडंबना यह है कि कोंडागांव जिले में कई आंगनबाड़ी केंद्रों में लंबे समय से कार्यकर्ता व सहायिका के पद खाली हैं।

कोंडागांव जिले के फरसगांव परियोजना में 06 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं 06 सहायिकाओं का पद रिक्त है। वहीं बड़ेडोंगर परियोजना में 05 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं 09 सहायिका का पद खाली होने की वजह से इन केंद्रों में नौनिहालों का बचपन केवल खाने और खेलने में ही बीत रहा है। इससे आंगनबाड़ी केंद्र पर पढ़ने वाले बच्चे इधर-उधर घूमते रहते हैं। कुपोषण हटाने से लेकर अन्य सुविधाएं भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से ही इन बच्चों तक पहुंचनी है। बावजूद इसके बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

जहां कार्यकर्ता नहीं है वहां की सहायिका को खाना बनाने के सिवा पढ़ाने के लिए समय नहीं है। वहीं जहां कार्यकर्ता हैं वहां सहायिका नहीं होने के कारण उनका अधिकतर समय खाना बनाने और बच्चों की देखभाल में ही बीत रहा है। सोचने वाली बात यह है कि केवल फरसगांव विकासखंड में यह स्थिति है तो जिले भर में क्या स्थिति होगी।

इनकी भर्ती को लेकर शासन-प्रशासन संबंधित विभाग द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसके चलते इन केंद्रों का संचालन पूरी तरह से गड़बड़ा गया है। बताया जाता है कि शासन से भर्ती प्रक्रिया अटकी हुई है। भर्ती प्रक्रिया बीच में लटकने के कारण संबंधित लोगों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है। देखा जाए तो आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन मात्र औपचारिक होकर रह गया है।

इस विषय पर जिला परियोजना अधिकारी एके विस्वाल से बात करने पर उन्होंने कहा कि मैं अभी कुछ दिन पहले पदभार ग्रहण किया हूं, और अभिलेख देखने से ही पता चलेगा कि कहां पर कितने पद खाली है और जल्दी ही भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी।