माता लक्ष्मी के पदचिन्ह और धान के बाली से सजी घर-आंगन, बंग समुदाय के घर घर हुई कोजागरी लक्ष्मी पूजा

आशीष दास

कोंडागांव/बोरगांव । दशहरा के पांचवे दिन शरद पूर्णिमा पर बंग समुदाय द्वारा बुधवार को घर घर लक्ष्मी पूजा (कोजागरी लक्खी पूजा) की गई। आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को यह पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और उनकी कृपा बनी रहती है।इसी कड़ी में बोरगांव, पश्चिम बोरगांव, जुगानी कैंप सहित क्षेत्र में बंग समुदाय के प्रत्येक घरों में कोजागिरी लक्खी पूजा का आयोजन धूमधाम किया गया। सुबह से ही घर की महिलाएं शुभता के लिए अल्पना और मां लक्ष्मी के पैरों के छाप घरों में उकेरे गए, साथ ही मां को परमान्न (खीर), लावा, मखाना, चूड़ा, नारियल लड्डू, मौसमी फल, खिचड़ी और पांच किस्म के भाजा (तली हुई सब्जी) का भोग लगाया गया और धान से भरा घट स्थापित कर अखंड दीया प्रज्वलित की गई। लक्खी पूजा की खास बात यह होती है कि मां लक्ष्मी के हाथ में धान की बालियां होती हैं। मां लक्ष्मी को धान अर्पित किया जाता है, ताकि घर में अन्न का भंडार सदैव भरा रहे। किसान परिवार मां से विनती करते हैं कि उनकी फसल में बरकत हो। मां लक्ष्मी को विभिन्न तरह के भोग चढ़ाये जाते हैं। इसमें नारियल का लड्डू (जिसे नाडु कहते हैं) मुख्य है।परिवार में धनधान्य एवं खुशहाली के साथ-साथ मंगलकामना के लिए मां लक्ष्मी की पूजा की गई। इस दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व है मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी पूजा करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है। इस दिन मां लक्ष्मी भक्तों के घर आती हैं और देखती हैं कि कौन जाग रहा है, इसी कारण इसका नाम- कोजागरी लक्खी पूजा है।ऐसी लोकमान्यता है कि जो जागता है मां लक्ष्मी उसके घर जाती हैं।