ग्राम केसरा में निषाद समाज का क्षेत्रीय महासभा एवं भवन लोकार्पण कार्यक्रम समारोह हुआ संपन्न।
पाटन – छत्तीसगढ़ क्षेत्रीय निषाद समाज केसरा परसुलीडीह परिक्षेत्र के तत्वाधान में 2024 का वार्षिक महासभा एवं लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री एवं विधायक पाटन भूपेश बघेल थे, अध्यक्षता प्रांतीय अध्यक्ष विधायक गुण्डरदेही कुंवर सिंह निषाद ने की। अतिविशिष्ट अतिथि ओंकार साहू विधायक धमतरी, अशोक साहू उपाध्यक्ष जिला पंचायत दुर्ग, डा घनश्याम निषाद अध्यक्ष जिला निषाद दुर्ग, देव कुमार निषाद अध्यक्ष निषाद समाज पाटन, चंदू निषाद जिला अध्यक्ष धमतरी, सुरेश निषाद सभापति जनपद पंचायत पाटन, दिनेश साहू सभापति जनपद पंचायत पाटन, चोवाराम निषाद अध्यक्ष केसरा परसूली डीह परिक्षेत्र, राजेश ठाकुर पूर्व जनपद सदस्य, अव अध्यक्ष ब्लॉक कांग्रेस कमेटी जामगांव आर, ईश्वर प्रसाद निषाद अध्यक्ष केसरापाली, दुकालू राम निषाद अध्यक्ष परसूलीडीह पाली, बहुंर सिंह निषाद उपाध्यक्ष केसरापाली, संतोष निषाद उपाध्यक्ष केसरापाली, नंदकुमार निषाद अध्यक्ष छोटे केसरा, परमेश्वर निषाद अध्यक्ष बड़े केसरा, भागवत सिन्हा जी सरपंच केसरा, विष्णु निषाद अध्यक्ष केसरा, भुनेश्वर निषाद उपाध्यक्ष केसरा व अन्य प्रमुख समाजिक कार्यकर्ता गण रहे ।


कार्यक्रम की शुरुवात इष्टदेव भक्त राज गुहा निषाद जी एवं प्रभु श्री राम जी के पूजा अर्चना के साथ किया गया, इस बीच शाम 4 बजे अतिथि व सामाजिक सम्मान, शाम सात बजे सामाजिक विषय चर्चा एवं सामाजिक प्रकरणों का निराकरण किया गया।
इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि – पौराणिक व रामायण, महाभारत काल से ही निषादों का महत्व वर्णित किया गया है जिनका निवास पहाड़ों और जंगलों के रूप में है। उनकी उत्पत्ति वेन नामक एक राजा से जुड़ी हुई है, साथी इसी निषाद ( केवट ) जाति के भक्त केवट जी के द्वारा पाद प्रक्षालन कर श्री राम जी को गंगा पर कराया गया, जिस भक्त शिरोमणि गुहा निषाद राज ने श्री राम जी की सेवा – सुश्रुवा की. फलस्वरूप प्रभु ने सखा कहकर उनको सम्मानित किया, भरत ने गले लगाया और आदिकवि वाल्मीकि तथा कवि कुल शिरोमणि तुलसीदास जी ने जिनकी प्रशंसा की। जिस जाति की कन्या सत्यवती ( मत्स्यगंधा) के सुपुत्र वेद व्यास जी – स्वयं नारायण के अवतार एवं चारो वेद, अठ्ठारह पुराणों और छह शास्त्रो के रचियता थे. जिस जाति के राजकुमार एकलव्य अद्वितीय धनुर्धर रहे, जिन्होंने अंगूठे दानकर महान शिष्यत्व के उदाहरण बने. ऐसे वेद -वेदांग, विद्वान और कवि कुल प्रशंसित निषाद ( केवट ) जाति वर्तमान में पद – प्रतिष्ठा – वैभव के नैराश्य में विक्षिप्त है. यह अवश्य ही प्राचीन गौरव के अधिकारी है. यह तभी संभव है जब समग्र रूप से दृढ निश्चय होकर, कर्मठता के साथ सामाजिक एकता, शैक्षिक – बौद्धिक विकास, आर्थिक उन्नत होकर, राजनैतिक अवसरों का लाभ लेकर समाज के सर्व अंग को उन्नत बनाया जाय. निषाद समाज हर युग मव मेहनतकश, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ है.। इस कार्यक्रम में निषाद समाज के सामाजिक बन्धुओं ने मुझे आमंत्रित किया मैं स्वयं इस हेतु आपका साभार धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।
प्रदेश अध्यक्ष कुँवर निषाद जी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए स्वागत भाषण देते हुए अपना सामाजिक प्रतिवेदन पढ़ा व अपने समाज का इतिहास बताया कि – दुनिया की पहली जाति निषाद है निषाद का हर युग मे वर्णन मिलता है जिन लोगों ने जल जंगल जमीन पर राज किया वो निषाद ही थे , हड़प्पा को बसाने वाले भी लोग निषाद थे , इसके साथ साथ निषाद में से अनेक जाति निकल कर आई है। रामायण महाभारत जैसे ग्रंथो में भी निषादों का उल्लेख मिलता है जिसमे निषादों के साम्राज्य थे।
उपाध्यक्ष अशोक साहू ने इस अवसर पर कहा कि – निषादों का इतिहास अति प्राचीन है। हर काल में वह समाज के अहम अंग रहे हैं। निषादों का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन ऋग्वेद में निषादों का उल्लेख है। रामायण और महाभारत में कई-कई बार निषादों का उल्लेख है। महर्षि वाल्मीकि ने जो पहला श्लोक लिखा है, उसमें निषाद शब्द आया है। महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास भी एक महान महर्षि निषाद थे।’ जल पर शासन करने वाला। प्राचीन काल में जल, जंगल खनिज, के यही लोग भी मालिक थे, महान संत कवि गोस्वामी तुलसीदास ने अपनी रचना कवितावली में निषादों के जीवन के बारे में विस्तार से लिखा है।