सुने हो गए घोंसले,घोंसला छोड़ उड़ गए दूधराज पक्षी के बच्चे


पंडरिया।नगर के क्रांति बांध के पास दूधराज पक्षी के घोसले सुने हो गए।कुछ दिन पहले इन घोसलों में पक्षियों की कलरव गुंजा करती थी।नर और मादा अपने नन्हे बच्चों की सुरक्षा में बैठे रहते थे।बच्चों के बड़े होते ही वापस लौटकर इन घोसले को सुने छोड़ गए।अगले वर्ष ये पक्षियां पुनः लौटेंगे।दूधराज (फ्लाईकेचर )पक्षी मध्यप्रदेश से मार्च – अप्रैल महीने में पंडरिया जंगल के क्रांति जलाशय के पास बड़ी संख्या में आते हैं।जिसके बाद जुलाई के अंत तक वापस लौट जाते हैं।ये प्रजनन के लिए यहाँ आते हैं।इनके आते ही जंगलों में इनकी आवाज गूंजने लगती है तथा इनके लंबी पूंछ व आकर्षक रंग रूप लोगों को आकर्षित करती है।दूधराज मध्यप्रदेश का राजकीय पक्षी है।इनका मुख्य भोजन तितली व पतंगे हैं।ये छोटे पेड़ों व झाड़ियों पर अपना घोसला बनाते हैं,जहां पानी व भोजन आसानी से मिल जाये।


नर और मादा करते हैं देखरेख-नर और मादा फ्लाईकैचर पक्षी अपने बच्चों और घोसले की देखरेख मिलजुलकर करते हैं।घोसले में कुछ देर नर पक्षी रहता है,मादा के आने पर नर पक्षी भोजन के लिए जाता है।दोनों मिलकर घोसले और बच्चे की देखरेख करते हैं।ज्यादा लंबे समय के लिए घोसले को नहीं छोड़ते हैं।


आकर्षक बनावट-दूधराज अपने आकर्षक बनावट व रंग के नाम से जाने जाते हैं।मादा दूधराज गहरे कत्थे रंग का सर चमकीले नीला रंग लिए हुए काले रंग का होता है।वहीं नर दूधराज दो रंग का होता है।नर कत्थे रंग का लंबी पूछ वाला होता है।तथा यह सफेद रंग का भी होता है।दरअसल नर पहले कत्थे रंग का होता है,युवा होते-होते इसका रंग सफेद हो जाता है।लंबी पूंछ नर की पहचान है।