राजकुमार सिंह ठाकुर
पंडरिया । ब्लाक अंतर्गत इन दिनों चरोटा एकत्रित करने का काम ग्रामीण क्षेत्र के लोगों व बैगा आदिवासियों द्वारा किया जा रहा है।बैगा आदिवासी सहित मैदानी क्षेत्रों में भी चरोटा एकत्रित की जाती है।चरोटा बीज को व्यापारियों द्वारा 20 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदी की जाती है।यह वनवासियों के आय का एक अच्छा स्त्रोत है।चारोटा घने जंगलों,खेत,कहीं भी आसानी से उग आते हैं।इस पौधा का बीज मेथी के बीज जैसा दिखाई देता है।चरोटा की प्रवित्ति भी गर्म होती है।यह बरसात के मौसम में स्वयं से ऊग जाते हैं।ब्लाक के वनांचल बदौरा,रहमान कापा,मु मुनमुना, देवसरा, पंडरीपानी,बिरहुलडीह, भेलकी, सेंदुरखार,बदना, कुंडापानी, कांदावानी,रुख़मीददार,भाकुर, पोलमी, घोघरा, बांटीपथरा,मंझगांव,चतरी,कामठी,मुनमुना, बांगर सहित अनेक वनांचल गांवों तथा मैदानी गांवों में इन दिनों चरोटा के बीज निकालने का कार्य किया जा रहा है।लगातार चरोटा का उत्पादन कम होते जा रहा है।पिछले तीन-चार वर्षों में चरोटा की फसल कम हो रही है।चार वर्ष पहले प्रायः सभी जगह चरोटा को देखा जा सकता था,किन्तु अब ये वनांचल क्षेत्रों में ही अधिक दिखाई दे रही है।चरोटा के भाजी का उपयोग सब्जी के लिए भी किया जाता है।आदिवासी समाज सहित अन्य लोग भी इस पौधे की पत्तियों को तोड़कर भेजी के रूप में ग्रहण करते हैं। इसकी पत्तियों में बहुत अधिक पोषक तत्व होते हैं। यही कारण है, कि हर आदिवासी की यह मन पसंद सब्जी होती है।चरोटा भाजी का स्वाद मुनगा भाजी जैसे होता है।कुछ लोगों का कहना है कि चरोटा के बीज का उपयोग बारूद बनाने के लिए भी किया जाता है।


सड़क पर निकालते हैं बीज– बीज निकालने के लिए सड़क किनारे स्थित गांव वाले चरोटा को सड़क पर बिछा देते हैं,वाहनों के चलने पर बीज निकलने से इसके मिजाई का कार्य हो जाता है।लेकिन इस प्रकार की मिजाई से वाहनों से दुर्घटना होने की संभावना बनी होती है।वाहन चालक व ग्रामीणों दोनों को दुर्घटना का खतरा बना रहता है।दोपहिया वाहन के स्लिप होकर गिरने का भी खतरा बना रहता है।*औषधीय गुण से भरा है चरोटा*-इस पौधे में कई औषधिक गुण है,जो अनेक बीमारियों का इलाज करने में पूर्ण रुप से सक्षम है। इससे कई सारे हर्बल नुस्के अपना कर अनेक रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है।वैद्यराज गिरिजा कुमार शुक्ला ने बताया किचरोटा के बीजों को पानी में पीस कर दाद पर लगाने से दाद ठीक हो जाता है। खाज या खुजली होने पर भी इसका प्रयोग करने से फ़ायदा मिलता है। जिन बच्चों को कृमि की शिकायत रहती है, उनके लिए 10 ग्राम चरोटा के बीजों को एक कप पानी उबाल कर पीने से कृमि को दूर किया जा सकता है।चरोटा की पत्तियों को उबालकर पीने से पीलिया होने पर भी लाभ होता है।कुछ जगह आदिवासी लोग टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिए भी चरोटा की पत्तियों का इस्तेमाल करते हैं।