वर्तमान युग अधिकारों के फैलाव का युग- डॉ शकील हुसैन
सविधान दिवस, व अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर आयोजित निबन्ध, क्विज, व भाषण प्रतियोगिता के विजेता पुरस्कृत हुए


पाटन। शासकीय चंदूलाल चन्द्राकर स्नातकोत्तर महाविद्यालय पाटन मे राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वाधान में अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर एकदिवसीय व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञ डॉ शकील हुसैन विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान विभाग शासकीय व्ही वाय टी स्नातकोत्तर महाविद्यालय दुर्ग, महाविद्यालय प्राचार्य डॉ बीएस छाबडा, शैलेष मिश्र विभागाध्यक्ष अंग्रेजी, डॉ सेवन कुमार भारती विभागाध्यक्ष भूगोल, राजनीति विभागाध्यक्ष जितेंद्र कुमार मण्डावी, सहायक प्राध्यापक रागिनी साहू, ज्योति कुर्रे उपस्थित थे। ज्ञानदायिनी माँ सरस्वती की पूजा अर्चना व दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुवात अतिथियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे चंद्रशेखर देवांगन ने विभाग की जानकारी देते हुए बताया कि हेमचंद यादव विश्विद्यालय द्वारा जारी मेरिट सूची में राजनीति विज्ञान विषय मे लगातार तीन वर्षों से प्रथम स्थान पाटन कालेज को प्राप्त हुआ है। प्राचार्य डॉ छाबडा ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए मानवाधिकार दिवस की शुरुवात 10 दिसम्बर 1948 से हुआ इसके बारे में जानकारी दिए साथ ही बताया की मनुष्य को अधिकार जन्म से प्राप्त होते है आवश्यकता है इन अधिकारों को जाने और इनके सरक्षण की जानकारी प्राप्त करते हुते मानवाधिकार के हनन से बचे।भारतीय सविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों को परिभाषित किये। मुख्य वक्ता डॉ शकील हुसैन ने मानव और अधिकार को परिभाषित करते हुए बताया कि मानव अधिकार नवीन अवधारणा है लेकिन इसकी मां 15वी शताब्दी से हो रही है। इंग्लैंड दार्शनिक थॉमस हाब्स ने पहली बार अधिकारों की बात किये थे, एक दशक बाद जॉन लॉक ने तीन अधिकार जीवन जीने का, सम्पत्ति, स्वतंत्रता के अधिकार की बात कही थी। 1688 में बिल ऑफ राइट में अधिकार प्रदान किये जाने की पुष्टि है। 1789 में फ्रांस की क्रांति द्वारा राजनतंत्रात्मक शासन व्यवस्था का अंत करके जनता का शासन स्थापित करते हुए सबके लिए समान अधिकार की अवधारणा का विकास प्रारम्भ हुआ। प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध तक अधिकारो की मांग ने तेजी से जोर पकड़ने लगा और 20वी सदी तक सबको अधिकार मिलना प्रारम्भ हो गया। राज्य शासन की शक्ति जनता के हाथों में आ गई और सविधान में अधिकारों को स्थान प्रदान करके स्प्ष्ट किया गया है सभी मनुष्य सामान है और सबको बराबर अधिकार प्रदान किये गए। डॉ हुसैन ने आगे बताते हुए कहा कि वर्तमान युग अधिकारों के फैलाव का युग है धीरे धीरे विश्व के अधिकांश देशों में संविधान द्वारा नागरिकों को विभिन्न अधिकार प्रदान किये जा रहे है। भारत भी इनमें से एक है भारत मे अनुच्छेद 21 में जीवन जीने की स्वतंत्रता व अनुच्छेद 21 (क) में शिक्षा का मौलिक अधिकार प्रदान कर उद्देशित किया गया है कि जीवन जीने का अधिकार सभी को है और शिक्षा के अधिकार का उपयोग कर अच्छे नागरिक बनने की दिशा ने अग्रसर हो ताकि राष्ट्र प्रगति पथ पर आगे बढ़ सके। व्याख्यान पश्चात सविधान दिवस ने आयोजित निबन्ध लेखन जिसमे प्रथम खुशबू भारद्वाज बीए प्रथम वर्ष, द्वितीय मुस्कान साहू बीकॉम प्रथम वर्ष, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में प्रथम उजाला यादव बीए द्वितीय वर्ष, द्वितीय तृप्ति बीकॉम प्रथम वर्ष, मानवाधिकार दिवस पर निबन्ध लेखन में प्रथम याशनी पटेल एमए प्रथम सेमेस्टर, भाषण प्रतियोगिता में प्रथम मधु वर्मा एमए प्रथम सेमेस्टर रहे। सभी प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र छात्राओं को राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा पुरस्कार भेंट कर सम्मानित किया गया। अंत मे आभार व्यक्त करते हुए राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष जितेंद्र कुमार मण्डावी ने मानवीय अधिकारों के सार्वभौमिक घोषणा के चार्टरों को विस्तार से बतलाए। कार्यक्रम में स्नाक्त, स्नातकोत्तर स्तर के छात्र छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे।