लाखों की लागत से बना सार्वजनिक शौचालय हो गया जर्जर



अंडा। दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न पंचायतों को करीब पांच साल पहले खुले में शौच से मुक्त यानी ओडीएफ घोषित कर लिया गया था। घरों में शौचालय के लिए सब्सिडी देने के साथ-साथ ही सामुदायिक तौर पर लोगों को शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पंचायतों में सामुदायिक शौचालय भी बनाये गये थे।  दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत बिरेझर गांव का मामला है जो सार्वजनिक शौचालय पुरा जर्जर हो चुके हैं। इस ओर सरपंच , जनप्रतिनिधि को कोई ध्यान नहीं है।
अब कोई इसे देखने वाला नहीं है। बिरेझर गांव सहित अन्य गांव में बना सामुदायिक शौचालय बिना उपयोग के अनुपयोगी हो गए तो कई शौचालय सुविधा के अभाव में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। कहीं गेट व सीट टूटा है तो कहीं सीट में कचरा भर गया है। ग्रामीण के अनुसार शौचालय के उद्घाटन के बाद सामुदायिक शौचालय बनाने में दो से ढाई लाख तक खर्च आया होगा लेकिन इस तरह के पंचायत में करीब दर्जन भर शौचालय बने हैं, इनमें अधिकांश शौचालय अनुपयोगी हो गये हैं. लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा. जिनके ऊपर देखरेख की जिम्मेदारी मिली वह तो भूल ही गये। साथ ही जिन लोगों के लिए शौचालय बनाये गये थे, वह भी झांकने तक नहीं जाते और अच्छी तरह से देखरेख भी नही करते हैं जिसकी वजह से प्रखंड क्षेत्र के कई सार्वजनिक शौचालय देखरेख के अभाव में जर्जर होता चला जा रहा है। क्या कहते हैं अधिकारी सामुदायिक शौचालय स्वच्छता विभाग से बनायी गयी है, फिर भी दिखवाते हैं । अगर पंचायती राज में मरम्मति का कोई प्रावधान होगा तो षस्टम वित्त आयोग से जर्जर शौचालयों की मरम्मत की जायेगी।