नए युक्तिकरण प्रक्रिया से प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता घटेगी…….नींव कमजोर होने से बड़ी कक्षा भी कमजोर होगी

पंडरिया। शासन द्वारा स्कूलों व शिक्षकों के लिए युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया प्रारम्भ की जा रही है।जिसे लेकर शिक्षक संघ व शिक्षा विदों की कई तरह की प्रतिक्रियायें सामने आ रही है।युक्तियुक्तकरण में प्राथमिक कक्षाओं में 60 बच्चों में दो शिक्षक की व्यवस्था दी गई है।जिसे लेकर पालकों में ज्यादा नाराजगी दिखाई पड़ रही है।शिक्षा विद डीआर साहू ने बताया कि प्राथमिक विद्यालय बच्चों के लिए शिक्षा की नींव है,प्राथमिक शाला में पांच कक्षाएं होती है,प्रत्येक कक्षाओं के लिए एक शिक्षक की व्यवस्था होनी चाहिये।

जबकि युक्तियुक्तकरण में 60 बच्चों पर दो शिक्षक दी जा रही है।जबकि प्राथमिक शाला में 5 कक्षाएं होती है।साथ ही प्राथमिक विद्यालयों में आये दिन सर्वे से लेकर अनेक कार्य के लिए एक शिक्षक हमेशा गैर शिक्षकीय कार्य मे संलग्न रहते हैं।उन्होंने बताया कि यदि पहली व दूसरी तथा तीसरी व चौथी कक्षा को एक साथ बैठाया जाएगा तो पांचवी कक्षा के लिए एक शिक्षक की आवश्यकता होगी।इस प्रकार हर विद्यालय में कम से कम तीन शिक्षक व एक हेडमास्टर की जरूरत है।

उन्होंने बताया कि युक्तियुक्तकरण से प्रतीत होता है कि शासन को गुणवत्ता से कोई लेना -देना नहीं है।केवल विद्यालय संचालित करने पर कार्य किया जाएगा। दो शिक्षक तो मध्यान्ह भोजन व शासकीय कार्य मे उलझ कर रह जाते हैं।इसका सीधा फायदा निजी स्कूल को होगा।शासकीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के कारण पालक निजी विद्यालयों की ओर आकर्षित होंगे।पूर्व विकास खंड शिक्षा अधिकारी एसपी पांडेय ने बताया कि प्राथमिक शिक्षा को शासन को मजबूत करना चाहिए।

क्योंकि प्राथमिक शिक्षा पर ही नींव होती है।जिस पर पूरी शिक्षा व्यवस्था निर्भर होती है।प्राथमिक विद्यालयों में पांच कक्षाएं होती है,सभी प्राथमिक विद्यालयों में कम से कम चार शिक्षक अनिवार्य रूप से होनी चाहिए।जिससे बच्चों की नींव मजबूत हो सके।
क्या कहते हैं,संघ पदाधिकारी-संघ पदाधिकारियों ने भी युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण बताया है।उनका कहना है कि युक्तियुक्तकरण से विद्यालयों के पुराने सेटअप को बदला जा रहा है।युक्तियुक्तकरण से विद्यालयों में शिक्षक कम किये जा रहे हैं।कर्मचारी फेडरेशन के ब्लाक अध्यक्ष प्रफुल्ल बिसेन ने बताया कि प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में न्यूतम चार शिक्षक होना चाहिए,जिससे विद्यालय में गुणवत्तायुक्त शिक्षा मिल सके।

इसके साथ ही युक्तियुक्तकरण को पदोन्नति व स्थानांनतरण के बाद करना चाहिए।क्योंकि पदोन्नति के पहले युक्तियुक्तकरण होने से पुनः विद्यालय में पद खाली हो जाएंगे। तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के तहसील अध्यक्ष आर के महरा व ब्लाक अध्यक्ष मोहन राजपूत ने बताया कि युक्तियुक्तकरण में शिक्षकों के सेटअप में बदलाव किए गए हैं।

2008 के सेटअप में प्राथमिक विद्यालयों में कम से कम तीन शिक्षक की व्यवस्था दी गई थी।जिसे अब दो कर दिया गया है।इसी तरह मिडिल स्कूलों में भी एक प्रधान पाठक सहित चार अन्य शिक्षक का प्रावधान था।जिसे अब प्रधान पाठक सहित चार कर दिया गया है।इससे कम दर्ज वाले विद्यालयों में विषय शिक्षक की पूर्ति नहीं होगी।