रिपोर्टर- चंद्रभान यादव
जशपुर। प्रतिमाह 18 हजार रुपए का मानदेय देने की मांग को लेकर मध्याह्न भोजन रसोइए 5 सितंबर से हड़ताल पर हैं। शिक्षा विभाग ने स्कूलों में मध्याह्न भोजन व्यवस्था प्रभावित ना हो, इसके लिए भाेजन की सामग्री सप्लाई करने वाले समूहों को भोजन पकाने का जिम्मा दिया है, पर समूह ने कई स्कूलों में भोजन नहीं बनाया जा रहा है।
शुक्रवार की सुबह प्राथमिक शाला पंपशाला के बच्चों को हाथ में टिफिन लेकर स्कूल जाते देखा गया, जब बच्चों से पूछा तो उन्होंने बताया कि कई दिनों से उनके स्कूल में मध्याह्न भोजन नहीं बन पा रहा है। शिक्षकों ने घर से टिफिन लाने को कहा है, इसलिए सभी बच्चे घर से टिफिन लेकर स्कूल जाते हैं। बच्चे टिफिन नहीं ले जाते हैं, वे पास की दुकान से बिस्किट या मिक्चर लेकर खा लेते हैं। शिक्षकों ने बताया कि उनके स्कूल में भोजन पकाने वाले की व्यवस्था नहीं हो पाई है। इसलिए बच्चों काे टिफिन लेकर आने को कहा है।
समूहों को दिया गया है भोजन पकाने का जिम्मा
सभी संकुल प्रभारियों को अपने-अपने संकुलों के सभी स्कूलों में मध्याह्न भोजन पकाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। कहीं समूह से कहीं भृत्यों से काम लिया जा रहा है। यदि कहीं नहीं बन पा रहा है तो व्यवस्था की जाएगी।
मांगों को लेकर रसोइयों ने विधायक को सौंपा ज्ञापन
जशपुर में राेजाना हड़ताल पर बैठ रहे मध्याह्न भाेजन रसोइया समूह ने जशपुर विधायक विनय भगत को ज्ञापन सौंपकर शासन स्तर से मांग पूरी करने की गुहार लगाई। विधायक को दिए ज्ञापन में रसोइए ने कहा कि 1995 से मध्याह्न भाेजन का संचालन चल रहा है। तब से लेकर आजतक उनका मानदेय नहीं बढ़ा है। आज भी उन्हें सिर्फ 1500 रुपए मानदेय दे रहे है। मध्याह्न भोजन के काम में भी उन्हें स्कूल में सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक काम करना होता है। दिनभर काम के बावजूद जो मानदेय मिल रहा है, वह महंगाई के इस दौर में बेहद कम है,
सीआर भगत, बीईओ, फरसाबहार