पिछले 20 साल से मिल रहा है एक ही जवाब, वही जवाब आज भी समाधान शिविर में मिला, , ,शासन को भेजे है प्रस्ताव, ,समाधान शिविर से मायूष होकर लौटे ग्रामीण ,पाटन ब्लॉक के इस सड़क का चौड़ीकरण और संधारण आखिर कब होगा, पढ़िए पूरी खबर

बलराम यादव
पाटन। ग्राम पहड़ोंर के ग्रामीण पिछले 20 साल से महका से पहडोर सड़क मार्ग का संधारण और चौड़ीकरण का मांग कर रहे है। तात्कालिक मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के समय चली ग्राम स्वराज अभियान और अब विष्णुदेव साय के सरकार द्वारा चलाई जा रही सुशासन तिहार में ग्रामीणों को एक ही जवाब मिल रहा है। बस अधिकारी माइक से जब आवेदन की प्रगति बताते है तो यही कहते है कि शासन की भेज दिए है। लेकिन आखिर शासन प्रशासन ग्रामीणों की इस समस्या को कब सुलझाएगा इसका जवाब कोई नहीं दे पा रहा है। आज फिर एक बार ग्रामीण मायूष होकर शिविर से वापस हुए।
पाटन विकास के ग्राम पंचायत पंहडोर के सरपंच एवं ग्रामीणों ने 20 साल पहले सड़क का संधारण एवं चौड़ीकरण की मांग किया था।  महका से लेकर पहाड़ोंर तक का सड़क काफी सकरी हो गई है।  साथ ही साथ जर्जर भी हो गई है।  इस सड़क का संधारण एवं चौड़ीकरण करना अनिवार्य हो गया है । लेकिन अभी तक शासन प्रशासन के ध्यान इस तरफ नहीं है । जबकि 20 साल पहले भी जब भाजपा का ही डॉक्टर रमन सिंह की सरकार ने ग्राम स्वराज अभियान चलाया था तब तात्कालिक सरपंच गजेंद्र मढ़रिया ने आवेदन दिया था उसे समय जब आवेदन की प्रगति की जानकारी दी गई तो बताया गया कि शासन को भेज दिए हैं।  आज भी जब वर्तमान सरपंच श्रीमती माया मढ़रिया एवं ग्रामीणों ने इस सड़क का संधारण एवं चौड़ीकरण का आवेदन सुशासन तिहार में दिए तब भी यही जवाब मिला कि शासन को भेज दिए है।  जवाब सुन ग्राम पंहडोर के ग्रामीण मायूष होकर समाधान शिविर से वापस लौट गए। ग्राम के तात्कालिक सरपंच गजेंद्र मढरिया ने बताया कि जब-जब शासन प्रशासन की महत्वपूर्ण कार्य होती है जनता के दरबार में जब शासन प्रशासन पहुंचती है तब तब सड़क संधारन, चौड़ीकरण की मांग रखते हैं।  लेकिन अभी तक उक्त समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि सड़क इतनी सकरी हो गई है कि दो गाड़ी एक साथ आमने सामने हो जाए तो साइड देने में भी दिक्कत होती है।  सड़क पर कई जगह बड़े-बड़े गड्ढे भी हो गए हैं। भिलाई तीन से लगे हुए होने के कारण इस सड़क पर भी काफी लोग आना-जाना करते हैं। इसके बाद भी शासन प्रशासन सुध नहीं ले रहा है । हर बार शासन को भेज दिए हैं का जवाब सुनकर ग्रामीण मायूस हो जाते हैं।  आखिर शासन प्रशासन की नींद कब खुलेगी ।