हाफ नदी का गला सूखा,धार टूटने से नदी सुखी,क्षेत्र के हेण्डपम्प सूखने लगे…गर्मी में पेयजल संकट


पंडरिया।नगर से होकर गुजरने वाली हाफ नदी का धार अन्ततः टूट गई।पखवाड़े भर पहले बरसात होने के चलते नदी में पानी का बहाव बना हुआ था।मार्च महीने में ही नदी की धार टूट गई,जिसे लेकर आगामी गर्मी के दिनों में पेयजल संकट की स्थिति देखी जा रही है।नगर से सटे बिशेषरा ग्राम के आगे नदी सूख गया है।अधिकतर गांव नदी पर निर्भर है।हाफ नदी में बहाव टूटने के कारण नदी किनारे स्थित गांवों में लोगों की परेशानी बढ़ेगी।

हाफ नदी पंडरिया के पंडरीपानी व बोड़ला ब्लाक के दलदली के मध्य मैकल श्रेणी से निकलती है।जो बेमेतरा जिले से होते हुए नांदघाट के पास शिवनाथ नदी में मिल जाती है।इस नदी की लंबाई करीब 45 किलोमीटर है।हाफ नदी जिले की सबसे बड़ी व लंबी नदी है।नदी सूखने के कारण आस-पास के गांवों के हेण्डपम्प मार्च महीने में ही बंद हो गए हैं।

नदी किनारे स्थित नवागांव,धोबघट्टी,डोमसरा, पिपरखूँटी,खरहट्टा,दुल्लापुर,अखरा सहित लगभग सभी गांवों के हेण्डपम्प का जल स्तर नीचे चला गया है।हाफ नदी पिछले 2020 व 2021में कोरोना के दौरान नहीं सुखी थी।जिसके बाद लगातार मार्च महीने में ही सुख रही है।इससे स्पष्ट है कि नदी कस सूखने के मुख्य कारण मानवीय हस्तक्षेप व नदी जल का बेतरतीब दुरपयोग है।शासन-प्रशासम सहित लोगों को नदी जल के संरक्षण के लिए संयुक्त प्रयास करना चाहिए।


जीवन यापन का आधार-हाफ नदी से क्षेत्र के करीब 200 से अधिक गांव के लोगों का जीवन यापन होता है।हाफ नदी के किनारे स्थित गांव के लोग हाफ नदी से सब्जी भाजी का उत्पादन करते हैं।जिससे सिंचाई का कार्य करते हैं।इसके अलावा ईंट निर्माण सहित कई औद्योगिक कार्य होते हैं।
पूरे वर्ष भर रहता था पानी-करीब 10 वर्ष पूर्व यह नदी सदवाहनी नदी के रूप में थी,जिसमे पूरे वर्ष पानी का बहाव रहता था।किंतु विगत 7-8 वर्षों से यह नदी गर्मी के मौसम के सूख सुख रही है।पिछले दो वर्षों में कोरोना के कारण नदी में पूरे वर्ष भर पानी का बहाव रहा।


संरक्षण की आवश्यकता-हाफ नदी क्षेत्र की सबसे बड़ी नदी होने के साथ अधिक महत्वपूर्ण भी है।इस नदी के माध्यम से नदी किनारे स्थित 200 से अधिक गांव के लोगों की जीविका चलती है।इस नदी से पानी लेकर सब्जी -भाजी की खेती कर अपनी जीविका चलाते हैं।नदी सूखने के असर आस-पास के ग्रामीणों पर होता है।इसके अलावा नदी का पानी सूखने के कारण आस -पास के गांवों में भूजल स्तर नीचे चला जाता है।नदी में बढ़ते प्रदूषण व व बेतरतीब पानी का दोहन सहित रेत उत्खनन से नदी के सदावाहनी होने में बाधा बन रही है।नदी के संरक्षण के लिए शासन व लोगों को प्रयास की जरूरत है।


कुछ जगह स्टाप डेम की जरूरत-नदी में अनेक स्टाप डेम होने से पानी भरे रहते हैं।जिससे अधिकांश गांवों में पानी का स्तर बना रहता है।वहीं अनेक गांवों में नदी सुख जाने व स्टाप डेम नहीं होने से गांवों में पानी की समस्या होती है।कुबा खुर्द के बाद दुल्लापुर गुरु के पास स्टाप डायवर्सन है।इसके बीच बिशेषरा, रौहा,मंझोली,देवपुरा,धोबघट्टी, नवागांव हटहा,डोमसरा,पिपरखुटी,खरहट्टा,सहित अनेक गांवों में पानी की समस्या होती है।धोबघट्टी व डोमसरा के पास स्टाप डेम बनाकर इन गांवों की समस्या को दूर किया जा सकता है।