पंडरिया-नगर व आस-पास के क्षेत्र में बड़ी मात्रा में आंक के पौधे हैं।जिसमें में फूल लदे हुए हैं।आंक के पौधों की संख्या पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ रही है।आंक का फूल छोटा, सफेद और कटोरीनुमा आकार का होता है। यह लाल व बैंगनी रंग की होती है।आंक का फूल देखने मे आकर्षक होता है।इसे शिव जी की पसंदीदा फूल माना जाता है।जिसे पूजा के लिए उपयोग किया जाता है।आंक के फूल में भौरा व सनबर्ड सहित अन्य पक्षियां इसका रस चुसती हैं।आंक का पौधा क्षेत्र सहित पूरे भारत में बंजर जमीन, खुले तथा शुष्क क्षेत्र में अपने-आप उगता है।इसकी ऊंचाई 5 से 7 फिट झाड़ीनुमा होती है।आंक एक औषधीय पौधा है।जिसके जड़ से लेकर हर चीज उपयोगी है। आंक कई शारीरिक परेशानियों से छुटकारा दिलाता है।हल्दी के 3 ग्राम चूर्ण को आंक के दो चम्मच दूध और गुलाब जल में अच्छी तरह से मिलाकर इसका लेप चेहरे पर लगाने से त्वचा मुलायम होती है।आंक के फूल का उपयोग सिर व कान दर्द में उपयोग होता है। इसके दूध को सिर पर लगाने से माइग्रेन में फायदा मिलता है। आंक के पत्तों का रस कान में डालने से कान से संबंधित रोग को दूर किया जा सकता है।
आंक के दूध में रूई भिगोकर रखने पर दांत या दाढ़े का दर्द दूर होता है। इसके अलावा अर्क के दूध में नमक मिलाकर दांत पर लगाने से दांत का दर्द दूर हो जाता है।वहीं, हिलते हुए दांत को अर्क का दूध लगाकर आसानी से निकाला जा सकता है।सांस या खांसी से संबंधित समस्या रहती है,उनके लिए आक का पौधा रामबाण औषधि की तरह है।50 ग्राम आक के फूल की लौंग को लेकर उसमें एक चुटकी मिर्च को अच्छी तरह पीसकर छोटी-छोटी गोलियों को रोज सुबह गर्म पानी के साथ सेवन करने से सांस से संबंधित बीमारी दूर हो जाती है।इसकी पत्तियां शुगर को नियंत्रित करने में सहायक होती है।इसकी पत्तियां शुगर को नियंत्रित करती है।

- June 18, 2024