कोंडागांव।कोंडागांव के कुम्हार अशोक चक्रधारी ने इस दिवाली के लिए एक ऐसा अनोखा दीया तैयार किया है, जिसकी विशेष बनावट और गुणों की चर्चा चारों ओर हो रही है। मिट्टी के इस दीये में एक अद्वितीय ऑटोमैटिक व्यवस्था है, जिससे दीये में जैसे ही तेल खत्म होता है, ऊपर रखे तेल से भरे गुंबद से तेल बूंद-बूंद कर स्वतः भर जाता है और दीया जलता रहता है।
दिवाली के नजदीक आते ही मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ जाती है, क्योंकि मिट्टी के दीयों से पूजा-पाठ का विशेष महत्व जुड़ा है। हालांकि, इलेक्ट्रॉनिक और चाइनीज आइटम्स के बाजार में आने के बाद भी मिट्टी के दीयों का आकर्षण आज भी कायम है। ऐसे में कोंडागांव के अशोक चक्रधारी का यह ‘जादुई दीया’ लोगों का ध्यान खींच रहा है, जिसमें एक बार तेल भर देने पर यह दीया 24 से 40 घंटे तक लगातार जल सकता है।

कोंडागांव के शिल्पग्राम कुम्हरपारा के निवासी अशोक चक्रधारी मिट्टी के बेजान टुकड़ों में जान डालने की कला में माहिर हैं। वे न केवल मूर्तियां और सजावटी सामान बनाते हैं बल्कि रोजमर्रा की चीजें बनाकर आसपास के लोगों को रोजगार भी देते हैं। अशोक का कहना है कि उन्होंने 35–40 साल पहले भोपाल में एक प्रदर्शनी में ऐसा दीया देखा था और उसी से प्रेरणा लेकर इसे बनाया। इस दीये को बनाने के पीछे उनका मकसद कुम्हारों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना भी है। इस विशेष दीये की अनोखी बनावट में गुंबद में तेल भरकर उसे दीये के ऊपर रखा जाता है। जैसे ही दीये में तेल खत्म होता है, गुंबद से तेल धीरे-धीरे बहकर दीये को भर देता है और दीया फिर से जलने लगता है। इस व्यवस्था के कारण यह दीया लंबे समय तक जल सकता है और इसे लेकर देश-विदेश से भारी मांग हो रही है।




