हजारों आदिवासी ग्रामीण पहुंचे सिलगेर नरसंहार बरसि में, मुख्यमंत्री से तीन बार हुई बातचीत परंतु आज नहीं निकला कोई परिणाम, सिलगेर कैंप गोलीकांड में मारे गए आदिवासियों को दी गई श्रद्धांजलि मठ बनाकर

बीजापुर — जिला मुख्यालय से लगे हुये सुकमा जिले के आख़री छोर सिलगेर में आज से एक साल पूर्व सीआरपीएफ कैम्प के विरोध में हजारों आदिवासी एक जुटे हुए थे । इसी दौरान ग्रामीण और जवानों में आपसी बातचीत का दौर बढ़ने लगा और गोलियां तक चल गई थी। जिस में तीन आदिवासी ग्रामीण मारे गए थे ।जो बीजापुर जिले के निवासी कोवसी वगा छुट्टबाई, उर्सा भीमा गुंडाम, उयका पाण्डु तिम्मापुर,मति पुनेम सोमली भाडागुड़ा सुकमा, मीडियम मासा तोलवर्ती सुकमा से थे । जे घटना 17 मई 2021 को हुई थी । जिस की बरसी के कार्यक्रम में हजारों की संख्या में आदिवासी ग्रामीण दंतेवाड़ा ,सुकमा ,बीजापुर के एकत्रित हुए हैं वहीं कई बुद्धिजीवी वर्ग मीडिया मानव अधिकार कार्यकर्ता भी इस बरसी में शामिल हुए । सिलगेर मूलवासी बचाओ मंच के अध्यक्ष रघु ने बताया कि विभिन्न तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया आयोजन के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक व रिती रिवाज कार्यक्रमों का आयोजन हुआ ।

*आखिर क्यों बदल गया मठ का रंग* — मूलवासी बचाओ मंच के सदस्यों ने बताया कि जल जंगल जमीन की लड़ाई में मूलवासी आदिवासियों का पहला अधिकार व कर्तव्य है इसीलिए हमने मारे गए आदिवासियों के मठ को प्रकृति के रंग से रंगा है हरे रंग का उपयोग लिया है वह अपने झंडे का भी रंग हमने हरा रखा है । हम आदिवासी जल जंगल जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं और प्रकृति प्रेमी है और प्रकृति कारण प्रकृतिक जीवन पेड़ पौधों से है और पेड़ पौधों का कलर हरा है जो हमें बहुत प्यारा है इसलिए हमने इस हरे रंग का उपयोग किया है ।