चौथे दिन की कथा में कथावाचक बाल विदुषी सुश्री क्षमानिधी जी ने कहा कि संकल्प लेकर जो कार्य किया जाता है। उसको निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है। उन्होंने कथा श्रवण करने वाले श्रद्धालुओं का आह्वान किया कि वह श्रवण की गई कथा से संबंधित बिंदुओं को कथा स्थल पर ही न छोड़कर अपने जीवन में उनको स्थान दिलाए। क्षत्रिय का जन्म भारत भूमि की पावन धरा पर इसीलिए होता है वह देश, धर्म, संत, सनातन और पितरो के साथ ही माताओं और बहनों की रक्षा कर सके। भागवत पुराण, वेद, उपनिषद, रामचरित मानस जैसे सभी ग्रंथों का नियमित रूप से वाचन और श्रवण करने की प्रक्रिया अपनाने की बात भी कही। कार्यक्रम की सफलता में आयोजक परिवार के सभी सदस्यो व समस्त ग्रामवासी उपस्थित थे।

- September 20, 2022