आईसीएफएआई विश्वविद्यालय कुम्हारी में दो दिवसीय “उभरते कॉर्पोरेट इको सिस्टम” पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ आयोजन

राकेश सोनकर

कुम्हारी । आईसीएफएआई विश्वविद्यालय कुम्हारी में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सत्य प्रकाश दुबे और कुलसचिव डॉ. रवि किरण पटनायक ने मां सरस्वती के चित्र का माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया। इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि डॉ. वाय. एस. चौधरी, सांसद एवं पूर्व राज्य मंत्री एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. ए.के.श्रीवास्तव, संचालक प्रबंधन संस्थान, प्रॉक्टर और अधिष्ठाता प्रबंधन अध्ययन प्रबंधन शिक्षा पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, अतिथि ने ऑनलाइन रहकर इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। स्वागत भाषण देते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि यह हमारे लिए खुशी की बात है कि इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन वाणिज्य और प्रबंधन विभाग द्वारा किया गया था. आप विशेषज्ञों की मौजूदगी से इसका गौरव बढ़ा है। सम्मेलन के विषय मे प्रकाश डालते हुए कुलपति ने कहा कि वर्तमान में वाणिज्य और प्रबंधन के क्षेत्र में नई-नई विधियां और तकनीकें बनाई जा रही हैं. यह निश्चित रूप से संबंधित लोगों की ऊर्जा, उत्साह और समझ का प्रतिबिंब है। यह तकनीक “कर सकते हैं” के बजाय “करेंगे” पर केंद्रित होगी। इन विषयों पर नए प्रतिमान और नई तकनीक से व्यापार जगत का विकास होगा। साथ ही उद्यमियों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि आज के युवा कल के रोजगार सृजन और नवाचार के लिए औद्योगिक क्रांति को गति देंगे, यह प्रतिमान वाणिज्य, व्यवसाय, प्रबंधन के क्षेत्र में रोजगार सृजन को बढ़ावा देने और अन्य देशों के साथ व्यापार परंपरा के संबंधों को मजबूत करेगा। आज हमारा नजरिया विकास के पारंपरिक मॉडल से आगे बढ़ चुका है। हमारा उद्देश्य मजबूत एवं आर्थिक रूप से सशक्त भारत बनाना है। मुख्य अतिथि डॉ वाय एस चौधरी ने अपने उद्बोधन में कहा कि शाशन की की योजनाएं ऐसी भी हैं जो विश्वविद्यालय से स्नातक स्तर के विद्यार्थी हैं उन्हें उनके विषय क्षेत्र में कुशल बनाना साथ ही उद्धमित के क्षेत्र ने उनका मार्गदर्शन करती है। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रबंधन विभाग के प्रोफेसर डॉ ए के श्रीवास्तव ने अपने वक्तव्य में कहा कि कारपोरेट के क्षेत्र में उच्च प्रतिमान को स्थापित करने की जरूरत है। आज विभिन्न स्तरों पर प्रबंधन को उपभोक्ता केंद्रित व्यवसाय के रूप में देखा जाता है। परिवर्तन एक सतत प्रक्रिया है, इसका निर्वहन हम तभी कर सकते हैं जब समाज हमें स्वीकार करेगा। 5-सी की व्याख्या करते हुए उन्होंने समन्वय, संयोजन प्रतिबद्धता, सम्प्रेषण और सहयोग पर अपनी बात समाप्त की और उन्हें अपनाने और इस क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कहा। सिक्किम के कुलपति डॉ. जगन्नाथ पटनायक ने अपने संबोधन में कहा कि आज व्यवसाय एवं प्रबंधन के क्षेत्र में नए प्रतिमान स्थापित हो रहे हैं और देश-विदेश में अनुसंधान के लिए नई तकनीक और संसाधन तैयार किए जा रहे हैं, जिसका प्रभाव व्यापार, व्यवसाय व प्रबंधन में वर्तमान में दिखाई दे रहा है। आईसीएफएआई विश्वविद्यालय देहरादून के कुलपति डॉ. रामकरण सिंह, ने अपने संदेश में कहा कि भविष्य में उद्यमिता के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। प्रथम सत्र में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. रवि किरण पटनायक ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, कुलपति एवं संयोजकों को इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के लिए बधाई दी और कहा कि निश्चित रूप से इस वेबिनार के माध्यम से कुछ नए तरीके और नई चीजें सामने आएंगी जो व्यवसाय वाणिज्य एवं प्रबंधन के क्षेत्र में नए प्रतिमान स्थापित करेगी । इस आयोजन के दूसरे सत्र में स्काईलाइन यूनिवर्सिटी, नाइजीरिया के कुलपति डॉ वी वी अजीत कुमार उपस्थित थे, जिन्होंने इस सम्मेलन के उपयोगी और सार्थक विषय के विशेष संदर्भ में, वाणिज्य और व्यापार से संबंधित मुद्दों को हल करने के साथ-साथ इस सम्मेलन को उपयोगी और सार्थक बताया। समर्थन नवाचार के रूप में। उन्होंने सभी शोधकर्ताओं, प्रतिभागियों और समन्वयकों को अपनी शुभकामनाएं दीं। दूसरे सत्र में आईडीबीआई बैंक के कार्यपालक निदेशक प्रदीप दास ने व्यापार और प्रबंधन के क्षेत्र में बैंक की भूमिका एवं उसके दायित्व की बात कही एवं आर्थिक स्तर पर इनके प्रभाव को आंकड़े सहित पीपीटी के माध्यम से बताया। सम्मेलन के दूसरे दिन आईसीएफ़एआईं के प्रोफेसर आनंद ने आमंत्रित अतिथियों का परिचय दिया जिसमें की नोट स्पीकर लेफ्ट, रिटायर्ड जनरल अरविंद सिंह लाम्बा ने अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि किसी भी पर्यावरण के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं राष्ट्रीय सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। अन्य देशों के साथ भारत के संबंधों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा- हमें प्रत्येक तत्व को सूक्ष्म दृष्टि से देखने की आवश्यकता है। आपने विस्तार पूर्वक समझाया और जियो पॉलिटिक्स, आत्मनिर्भरता और तकनीक पर विशेष जोर दिया और उनके प्रभावों पर चर्चा की। चिकित्सक हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के डीन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट मैरी जेसिका ने अपने संदेश में कहा कि उभरती कॉर्पोरेट प्रणाली में विभिन्न परियोजनाएं चल रही हैं, जिसमें विभिन्न मुद्दों और उनके समाधान के लिए नए दृष्टिकोण स्थापित किए जा रहे हैं। इसमें सामाजिक मुद्दों की पहचान से लेकर व्यवसाय मूल्यांकन और प्रबंधन के लिए एक रूपरेखा भी शामिल है। कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व को लागत लाभ के पुराने नजरिये से ना देखकर प्रत्येक क्षेत्र में मुख्य रूप से सामाजिक जिम्मेदारी पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इस विषय पर बोलते हुए, प्रोफेसर देवेंद्र सारंगी ने कहा कि संस्थानों को अच्छी कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी का अभ्यास करने और अर्थव्यवस्था तथा परिस्थिति के बीच स्थाई संतुलन पर बढ़ावा देने के लिए संस्थाएं प्राकृतिक पर्यावरण, मानव और समाज के प्रभावों से निपटने के दौरान पारिस्थितिकी और नैतिकता दोनों के लिए नियमों की मांग करने का प्रयास करती है ताकि सभी काम बेहतर तरीके से सुनिश्चित हो सकें। प्रबंधन सामाजिक जिम्मेदारी पर अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है। ग्राहक जो आपूर्तिकर्ता, कर्मचारी, शेयरधारक, पर्यावरण समूह का संचालन करता है।

दूसरे एवं अंतिम दिन सम्मेलन में शोध पत्रों का वाचन किया गया साथ ही सम्मेलन समिति के सभी सदस्यों को कुलपति के कर कमलों द्वारा प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह भेंट की गई अंत मे कुलपति ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सफल आयोजन की बधाई प्रेषित की।