आशीष दास
कोंडागांव/बड़ेडोंगर । कोंडागांव जिले में वाह रे शिक्षा व्यवस्था, अंदरूनी क्षेत्र के बच्चों के लिए भवन की भी मुकम्मल व्यवस्था नहीं। जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां खाली स्कूल भवन पड़े पड़े खंडहर में तब्दील हो रहे हैं वहीं जहां भवन की जरूरत है वहां बच्चों को स्कूल भवन नसीब नहीं। बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर है।नींव मजबूत होगी तभी तो आगे पढ़ाई होगा आसान। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रारंभिक शिक्षा को मजबूत बनाने नित नए प्रयोग किया जा रहा है लेकिन अगर बच्चों को बैठने के लिए ही बिल्डिंग ना हो तो कैसे होगी पढ़ाई। शिक्षा विभाग की लाचार व्यवस्था के चलते हैं कोंडागांव जिले में प्राइमरी शिक्षा राम भरोसे चल रही है। सरकारी प्राथमिक स्कूलों के भवनों के जर्जर हो जाने से अब खुले आसमान के नीचे झिल्ली लगाकर बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं। खराब मौसम में झिल्ली के नीचे बच्चों की क्लास देख गांव के लोग भी हैरान हैं।

1997 में बनी स्कूल हो गया जर्जर_ कोंडागांव जिले के विकास खंड फरसगांव के सुदूर क्षेत्र ग्राम पंचायत बंगोली, संकुल लाटापारा बड़ेडोंगर के आश्रित ग्राम कोहकापाल में प्राथमिक स्कूल की बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो गयी है। भवन की छत और दीवालों के साथ ही फर्श भी खस्ताहाल हो चुका है। शाला के दिवार लेखन देखकर पता चला कि गांव में इस स्कूल की बिल्डिंग वर्ष 1997 में बनी थी, अब ये जर्जर हो गया है। प्लास्टर टूटकर नीचे गिरने से बच्चे कभी भी घायल हो सकते हैं या फिर किसी अनहोनी से भी इन्कार नहीं किया जा सकता, इसीलिए बच्चों को खुले आसमान के नीचे लारी बनाकर ऊपर से झिल्ली टांग कर शिक्षक पढ़ा रहे हैं। बताया कि ये भवन कभी भी ढह सकता है।*प्राथमिक शिक्षा को लग रहा है तगड़ा झटका-*हाल में ही लगातार बारिश होने से स्कूल की बिल्डिंग और बेकार हो गयी है। छत से पानी भी टपकता है। जिले के कई और क्षेत्र में भी कई स्कूल जर्जर बिल्डिंग में संचालित हो रहे हैं। इसके अलावा विकास खंड फरसगांव के कुछ स्थानों पर पुरानी और जर्जर बिल्डिग में बच्चों की क्लास लगती हैं। जिससे प्राथमिक शिक्षा को तगड़ा झटका लग रहा है।
31 बच्चों की कक्षा लगती है बाहर _ प्राथमिक विद्यालय के प्रधान पाठक ने बताया कि स्कूल में कक्षा एक से पांच तक के 31 छात्र और छात्राएं पंजीकृत हैं। गांव के सभी बच्चे नियमित रूप से पढ़ने आते हैं। लेकिन उनकी सुरक्षा के मद्देनजर मजबूरी में क्लास रूम से बाहर झिल्ली के नीचे क्लास लगाई जा रही हैं। उन्होंने आगे बताया कि बरसात होने पर एकल कक्ष और बरामदे में बच्चों को कुछ देर के लिए बैठाया जाता है। स्कूल की बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है, जो कभी भी ढह सकती है। बच्चे भी स्कूल के अंदर जाने से घबराते हैं।*ग्रामीणों की भी सुने–*वही ग्रामीणों का कहना है कि इसके लिए शाला भवन के लिए कई बार मांग किया गया है स्कूल की ओर से भी उच्च कार्यालय में स्कूल भवन के बारे में जानकारी दी गई है लेकिन इसका आज तक कोई निराकरण नहीं हुआ और विभागीय लापरवाही के चलते हमारे बच्चों को पहली से पांचवी तक के पूरे कक्षा एक साथ बाहर बैठकर पढ़ना मजबुरी है।इस विषय पर अधिकारियों द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था ना कर वही रटे-रटाया एक ही जवाब कि जिले के समस्त जर्जर स्कूल भवनों का प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है आवंटन आने के बाद ही स्कूल भवन निर्माण शुरू होगा। लेकिन कब होगा नया भवन निर्माण के लिए आवंटन और कब तक बच्चों को नसीब होगा नया स्कूल भवन ? यह सवाल ग्रामीणों को जेहन में है।इस विषय पर जिला शिक्षा अधिकारी अशोक पटेल को फोन करने पर उन्होंने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा।