जान जोखिम में डालकर नाला पार कर अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं ग्रामीण व विद्यार्थी

आशीष दास

बोरगांव/बड़ेडोंगर । विकासखंड फरसगांव के अंतर्गत बड़ेडोंगर क्षेत्र के अंदरुनी ग्राम पंचायतों में लगता है कि शासन प्रशासन जनप्रतिनिधियों और अफसरों को ग्रामीणों की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है। यही वजह है कि सालों से चांदाबेड़ा पंचायत के नाले पर पुलिया नहीं बनने से बारिश के दिनों गांव के ग्रामीण एवं राहगीरों को अपने गंतव्य, छात्रों को स्कूल और ग्रामीणों को विकासखंड व जिला मुख्यालय तक पहूंचने में भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

मुख्यमंत्री भेंट वार्ता के दौरान हुआ इस पुलिया निर्माण का घोषणा-

बड़ेडोंगर में मुख्यमंत्री भेंट वार्ता के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा इस पुलिया निर्माण की घोषणा करने के बाद भी आजतक शासन प्रशासन का ध्यान इस और नहीं गया।

इससे पहले भी ग्रामीणों ने कई बार इस मार्ग पर एक पुलिया की मांग करते आ रहे हैं, जिसके लिए बाकायदा ग्रामीण ज्ञापन पर ज्ञापन देते आ रहे हैं। लेकिन इस ओर कोई जनप्रतिनिधि व शासन प्रशासन की नजर नहीं पड़ी। जिसके चलते बारिश के चार महीने छात्र छात्राएं और ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे हैं।

क्या कहते हैं ग्रामीण और स्कूली बच्चे_

चांदाबेडा के सरपंच प्रतिनिधि महेंद्र सलाम, सुदेराम माली, बुधमन करंगा, कुमेंद माली, राजेश ठाकुर, गजेन्द्र कोर्राम, सुखदेव नेताम, भुनेश्वर माली ने कहा कि चांदाबेड़ा नाले पर पुलिया नहीं बनने के कारण ग्राम पंचायत मोरेंगा, चिंगनार, पलना, चांदाबेड़ा, पावड़ा, भोंगापाल, एवं झाकरी पंचायत के ग्रामीणों को मुख्यालय फरसगांव, कोंडागांव जाने में बहुत दूरी को तय करना पड़ता है। इस नाले से होते हुए बड़ी संख्या में स्कुली बच्चे हाई स्कूल चांदबेड़ा, हायर सेकेंडरी स्कूल बड़ेडोंगर, डीएवी मॉडल स्कूल एवं अन्य स्कुलों में पढ़ने भारी संख्या में छात्र-छात्राएं आते हैं साथ ही इन गांव से अनेक कर्मचारी भी रोजाना आना जाना करते हैं जो बाढ़ आने से वे अपने जान जोखिम में डालकर नाला पार कर अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं। नाला पार करते समय ऐसे में यदि जरा सी चूक हो जाए तो बड़ा हादसा होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। पूर्व में कई बार हादसे भी हो चुके हैं। बावजूद इसके जनप्रतिनिधि और प्रशासन मूकदर्शक बने बैठे है। जब नाला चढ़ जाता है तो बच्चे स्कूल तक नहीं पहुंच पाते हैं।

वहीं स्कूली बच्चों का कहना है कि बारिश में नाला पार करते हुए डर तो लगता है लेकिन हमें पढ़ाई जारी रखना है। इसलिए इस नाले को पार करके निकलना पड़ रहा है। सरकार विभिन्न तरह के अभियान चलाकर करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन हमारी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

ग्रामीण बोले- अब आंदोलन ही एकमात्र सहारा-

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में आवागमन के लिए पुल नही होने के चलते स्कूली बच्चे और ग्रामीण प्रतिदिन अपनी जान जोखिम में डालकर निकलते हैं, जिससे यहां हादसे होते रहते हैं। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि कुछ समय पूर्व भी कई लोग यहां से गिरकर घायल हो चुके है। फिर भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे। यदि शीघ्र ही इस समस्या का समाधान नहीं होता है तो हम ग्रामीण आंदोलन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।