
राजनांदगांव। ग्राम महोबा और साल टिकरी के किसानों ने श्रमदान के द्वारा गांव के पास बहने वाले नाले में अस्थाई बोरी बांध बना करके बहते पानी को रोककर अपने खेतों को सिंचित करने का बीड़ा उठाया इस हेतु रिलायंस फाउंडेशन ने ग्रामीणों की मदद की.
जल जागरुकता कार्यक्रम में रिलायंस फाउंडेशन ने लोगों को बताया कि सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण जल बरसात के बाद खेतों से नाले के द्वारा बह जाता है अगर इन बहते हुए नालों पर अस्थाई बांध बनाया जाए तो उससे रुका हुआ पानी भी खेतों में सिंचाई हेतु बहुमूल्य पानी उपलब्ध करा सकता है.
इस बात को समझ कर ग्राम मोहबा के 23 किसानों ने श्रमदान के द्वारा मोहबा के भाटनाले में बहते हुए पानी को रोकने का बीड़ा उठाया और और इन किसानों ने एक दिवस के श्रमदान से 20 मीटर लंबे चौड़े नाले पर सीमेंट की बोरियों में रेत भर के अस्थाई बांध की संरचना का निर्माण किया. श्रमदान से इस नाले पर लगभग 4000 घन मीटर पानी संग्रहित हुआ और यह नाला करीब आधे किलोमीटर दूर तक भर गया. इस कार्य से उत्साहित होकर ग्रामीणों ने अपने आसपास के सूखे खेतों में चना, मसूर की बोनी की. ग्राम महोबा में 23 किसानों का लगभग 30 एकड़ जमीन पर इस एक संरचना के द्वारा सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध हो पाया. यह गांव वालों के लिए बहुत ही उत्साहजनक था.
महोबा गांव के किसान रामेश्वर साहू ने 2 एकड़ जमीन में सिंचाई करके मसूर और चने की खेती की है. उनका कहना था ” हमारे सूखे खेतों में पास के बहते हुए नाले से अपने खेत को सिंचाई करना हमारे लिए बेहद सुखद अनुभव था. हमने पंचायत के द्वारा कई बार प्रयास किया कि पास में एक चेक डैम बन जाए जिससे हमारे खेत सिंचित हो सके लेकिन यह कार्य अभी तक पूर्ण नहीं हो पाया है”
गांव के ही सुखचरण साहू ने इस बोरी बंधान बनाने के कार्य में अपना बहुमूल्य श्रमदान किया था उन्होंने अपनी 1 एकड़ जमीन में सिंचाई करके चने की फसल ली.
इसी प्रकार गांव साल टिकरी के तालाब से निकलने वाले पानी को रोकने हेतु बोरी बंधान बनाकर के लगभग 15 एकड़ जमीन को सिंचित करने का कार्य किया.
इस कार्य के लिए गांव वालों का प्रोत्साहन रिलायंस फाउंडेशन की ओर से तेजस्वी वर्मा एवं राघवेंद्र कुमार राजेकर ने किया.
इन दोनों गांव के स्वयंसेवकों के द्वारा बनाए गए संरचना से लगभग 6000 धन मीटर पानी का अतिरिक्त संचय हुआ और लगभग 45 एकड़ की जमीन पर सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध हो पाया.
इन खेतों में जहां वह पहले नाले से पानी बह जाने के कारण एक पानी ही दे पाते थे आज उन्होंने अपने खेतों को दो पानी देकर के फसल को सुरक्षित कर लिया है.
इन गांव के किसानों ने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि स्थानिक समस्याओं का समाधान संगठित होकर के कम खर्च में भी किया जा सकता है.