
रिपोर्टर, चंद्रभान यादव
जशपुर। महिला को आधी रात शुरू हो गई थी प्रसव पीड़ा, रास्ता नहीं होने के कारण नहीं मिल पाई स्वास्थ्य सुविधा, प्रसव के बाद मां और शिशु को पहुंचाया अस्पताल
आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद जिले में ऐसे गांव हैं, जहां सड़क नहीं बन पाई है। ऐसे में ग्रामीण पगडंडी के सहारे आना-जाना कर रहे हैं। कुछ इसी तरह की स्थिति पत्थलगांव ब्लॉक के कुड़ापानी की है। स्वास्थ्य विभाग और सरकारी सिस्टम की कमजोरी के कारण गर्भवती पहाड़ी कोरवा महिला को मदद नहीं सकी। ग्राम पंचायत बालाझर के नागरपखना से कूड़ापानी जाने के लिए रास्ते में पुलिया नहीं है। ऐसे में प्रसव पीड़ा होने पर महिला को उठाकर अस्पताल ले जाया जा रहा था। अस्पताल पहुंचने से पहले ही महिला को रास्ते में प्रसव हो गया।

घटना सोमवार सुबह करीब 11 बजे की है। कूड़ापानी निवासी पहाड़ी कोरवा चमर साय की पत्नी अमर बाई पहाड़ी कोरवा को सोमवार रात 1 बजे प्रसव पीड़ा शुरू हुई। 108 संजीवनी वाहन में फोन करने पर चालक ने वाहन नहीं होने की बात कही। इधर, महिला की हालत बिगड़ती जा रही थी। गांव में सड़क नहीं है, तो ग्रामीणों पैदल ही महिला को अस्पताल ले जाने का फैसला किया। दो लोग सुबह 11 बजे मिट्टी ढोने वाला भार में महिला को उठाकर कूड़ापानी से नागर पखना तक दो किमी दूर पहुंचे। इसी दौरान रास्ते में नागर पखना के पास महिला का प्रसव हो गया। यहां से ग्रामीण निजी वाहन किराया कर महिला और बच्चे को लेकर तमता प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। फिलहाल महिला और शिशु दोनों सुरक्षित हैं।
पहली ही बारिश में बहा पुल पगडंडी ही एकमात्र सहारा कुड़ापनी से नागरपखना तक सड़क करीब 2 किमी तक खराब है। बारिश के चलते मार्ग और खराब हो चुका है। रास्ते में जगह-जगह कीचड़ फैला हुआ है। जहां चलना खतरे से खाली नहीं है। नागरपखना और कुड़ापानी के बीच पुल बना था। यह पुल पंचायत के द्वारा बनाया गया था। दो महीने पहले ही पहली बारिश में पुल बह गया। ग्रामीणों ने बताया कि देश को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं। लेकिन आज तक सड़क नहीं बन पाई है। रास्ता खराब होने के कारण खेतों की पगडंगी ही एकमात्र सहारा है।